अगर आप ऑरेंज या कोई भी फ्रेश जूस ज्यादा मात्रा में ले रहे हैं तो खुद ही शूगर के साथ कई अन्य बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। दरअसल हम जिस फ्रेश जूस को हेल्दी समझते हैं, उनमें ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा और फाइबर कम होता है। इससे एक तो बॉडी में शूगर फैट के रूप में जमा होता है, दूसरे फाइबर कम होने से यह आसानी से डाइजेस्ट भी नहीं होता। नतीजा शूगर, हार्ट और लीवर प्रॉब्लम। एक्सपर्ट्स का कहना है कि 20 से 25 पर्सेंट फाइबर डाइट में लेने से शूगर पर काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। फ्रेश जूस ही अंडा, टोमैटो सॉस, स्नैक्स, रेडी मील्स और यहां तक कि शूगर फ्री प्रॉडक्ट भी हमें शूगर दे सकते हैं।
डायबिटिक स्पेशलिस्ट डॉ. एके झिंगन का कहना है कि नॉर्मली दिन में दो से तीन संतरे खाना ठीक होता है। एक तो उसमें फाइबर मिलता है, दूसरे ग्लूकोज भी मात्रा संतुलित होती है। लेकिन जब हम बड़ा ग्लास जूस लेते हैं तो इसका मतलब हम करीब 8से 10 संतरे ले रहे होते हैं। जूस निकालने से उसमें से फाइबर भी निकल जाता है और ज्यादा ग्लूकोज बॉडी में जाता है। फाइबर कम होने से यह आसानी से पचता भी नहीं और एक्स्ट्रा फैट के रूप में बॉडी में जमा होने लगता है। जब यह महत्वपूर्ण अंगों के पास जमा होता है, तो उनके लिए खतरनाक है। इससे डायबिटीज,
हार्ट और लीवर की समस्या शुरू हो जाती है। यही फैट धमनियों में जमकर हार्ट पर यह एक्स्ट्रा प्रेशर डालने लगता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हम अपने खाने और ब्रेकफास्ट में सॉल्ट, कैलरी, फैट और कार्बोहाइड्रेट आदि का तो ध्यान रखते हैं, लेकिन उनमें छिपी हुई शूगर की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है। यहां तक कि कई ऐसे फूड प्रॉडक्ट जिनमें फैट या शूगर न होने की बात कही जाती है, उनमें भी शूगर डाली गई होती है और हम शूगरफ्री के चक्कर में शूगर ले रहे होते हैं। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कई बार तो जिस डायट को हम हेल्दी समझते हैं, उसमें जरूरत से ज्यादा शूगर पाई जाती है। इन्हें खाने से हमें हर दिन की जरूरत के हिसाब से ज्यादा शूगर मिल जाता है। कई स्टडी में यह बात साबित भी हो चुकी है कि प्रॉडक्ट को ज्यादा टेस्टी बनाने के लिए कंपनियां उनमें ज्यादा शूगर डाल देती हैं। स्नैक्स हो या रेडी मील्स हो या टोमैटो सॉस, इन सभी में जरूरत से ज्यादा शूगर मौजूद होता है। इन चीजों को लोग रोजाना यूज करते हैं, वह भी बिना यह जाने कि इसमें शूगर की मात्रा कितनी है(सुशील कुमार त्रिपाठी,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,17.4.12)।
वस्तुतः,नाम भले ही हेल्थ ड्रिंक हो लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद नहीं होते क्योंकि उनमें चीनी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और यह एक बार में आपकी डाइट में 450 कैलरी का इजाफा कर सकती है।
17 अप्रैल,2012 के ही नभाटा ने 'डेली मेल' की खबर छापी है जिसमें कहा गया है कि 'ग्लासगो यूनिवर्सिटी' की टीम ने इस सर्वे के लिए ब्रिटेन में 2,000 लोगों से कहा कि वे ड्रिंक में चीनी की मात्रा का अनुमान लगाएं। रिसर्चरों ने पाया कि लोगों ने कोला की कैटिगरी में आने वाले पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा को वास्तविक से ज्यादा आंका जबकि स्मूदीज और फलों के रस में चीनी की मात्रा का अनुमान वास्तविकता से कम लगाया।
उन्होंने देखा कि कोला की श्रेणी में आने वाले ड्रिंक्स से लोगों को कैलरी की बहुत बड़ी मात्रा मिलती है। सर्वे में भाग लेने वालों से लोकप्रिय पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा के बारे में अनुमान लगाने को कहा गया था।
सर्वे के अनुसार ब्रिटेन में हर एक व्यक्ति प्रति सप्ताह शराब के अलावा अन्य पेय पदार्थों से 3,144 कैलरी लेता है। अर्थात् इस तरह से प्रतिदिन वह औसतन 450 कैलरी लेता है।
सर्वे का कहना है कि ब्रिटेन के लोग यह कैलरी अपने भोजन के अलावा लेते हैं जिससे उनमें मोटापे की समस्या बढ़ रही है।
अच्छी जानकारी मिली
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी ...
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी...............
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार.
आंखें खोलने वाली जानकारी!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी के लिए आभार....
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