मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

जीवनशैली की विकृतियों से अनियंत्रित होता मधुमेह

दुनिया भर में भले ही मधुमेह को बहुत खतरनाक रोग माना जाता हो, लेकिन ऐसा लगता है जैसे भारत के लोगों को यह उतना नहीं डराता। जिस तरह से इसके लगातार प्रसारित होने के बावजूद लोगों में जागरूकता का अभाव है उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि यहाँ के लोगों को इसका कोई भय नहीं है। वरना भारत में यह रोग जिस तरह की महामारी की शक्ल लेता जा रहा है उसके मद्देनजर अब तक तो इसे लेकर सारे देश को पहले ही सचेत हो जाना चाहिए था। 

दुनिया भर में सबसे अधिक मधुमेह रोगी भारत में ही रहते हैं और मरीज़ों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। यही वजह है कि दुनिया भारत को मधुमेह की राजधानी कहकर बुलाने लगी है। मधुमेह होने पर शरीर को भोजन से जो ऊर्जा मिलनी चाहिए थी उसे पाने में कठिनाई होती है। इसके बावजूद भोजन के ग्लूकोज में बदलने की प्रक्रिया जारी रहती है। ग्लूकोज रक्त में तो जाता है, लेकिन इंसुलिन के अभाव में यह कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाता। इसी कारण ग्लूकोज की अधिकतर मात्रा रक्तधारा में ही बनी रहती है जिसे उच्च रक्त ग्लूकोज कहते हैं। चूँकि कोशिकाओं में पर्याप्त ग्लूकोज नहीं रह जाता इसलिए वे उतनी ऊर्जा नहीं पैदा कर पातीं जिससे शरीर की गतिविधियाँ सामान्य रूप से संचालित हो सकें।

विभिन्न अध्ययनों से यह बात ग़लत साबित हो चुकी है कि मधुमेह अधिक मीठा खाने से होता है। ऐसे लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं जिन्हें मीठा पसंद नहीं है लेकिन इसके बावजूद वे मधुमेह के शिकार हैं। मधुमेह मीठा खाने के कारण नहीं होता लेकिन एक बार यह हो जाए तो मरीज़ को मीठे से दूर रहना पड़ता है। आधुनिकता के प्रसार के साथ-साथ हमारी जीवनशैली में अनेक विकृतियाँ आ गई हैं। अब लोग शारीरिक श्रम न के बराबर करते हैं। भोजन भी ऐसा जो मधुमेह और हृदय रोग के खतरे को बढ़ा देता है। 

तनाव, फास्ट फूड, आपाधापी का जीवन, मानसिक अशांति, इस सबकी सबसे बड़ी कीमत शरीर को ही चुकानी पड़ती है। भारत में मधुमेह के चौतरफा प्रसार को लेकर जो अध्ययन हुए हैं वे स्पष्ट रूप से बताते हैं कि तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण, आधुनिक युग के तनाव, खानपान व रहन-सहन की शैली में परिवर्तन, पश्चिमीकरण व शारीरिक परिश्रम की कमी के कारण ही मधुमेह पसरता जा रहा है। इस रोग के कारण रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। वैसे तो यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन भारत में ९५ प्रश से ज़्यादा वयस्क ही इसकी चपेट में आते हैं। 


लक्षण 
 -बार-बार पेशाब आना 
 - त्वचा में खुजली होना 
 -दृष्टि से संबंधित परेशानी होना 
 -हमेशा ही थकान का अनुभव होते रहना 
 -कमज़ोरी अनुभव करना
 -बार-बार पैरों में सुन्नापन महसूस होना 
 -लगातार ही प्यास लगते रहना 
 -ज़ख्म भरने में समय लगना 
 -हमेशा भूख लगते रहना 
 -वज़न में कमी आना और त्वचा का संक्रमित हो जाना 

ये सभी मधुमेह के प्रमुख लक्षण हैं जो इस बात की ओर संकेत देते हैं कि व्यक्ति पर मधुमेह का खतरा मँडरा रहा है। इन लक्षणों के प्रकट होते ही चिकित्सक से परामर्श लेकर आवश्यक जाँचें करवाएँ। इन लक्षणों के साथ-साथ यदि त्वचा के रंग या मोटाई में बदलाव नज़र आए,संक्रमण के प्रारंभिक चिह्न जैसे लाली,सूजन,यौन अंगों के नीचे तथा उंगलियों के बीच खुजली हो तो तत्काल चिकित्सक को दिखाएं। 

निस्संदेह यह एक बेहद घातक रोग है जो शरीर को अंदर ही अंदर खोखला बनाता रहता है लेकिन यदि नियमित दवा खाने के साथ कुछ सावधानियां बरती जाएँ और जीवनशैली में परिवर्तन किया जाए तो इस रोग को नियंत्रण में रखा जा सकता है। वजन बढ़ा हुआ है तो उसे घटाना बहुत ही ज़रूरी है। चिकित्सककों का कानना है कि व्यक्ति अगर अपने वज़न को चिकित्सक के बताए अनुसार कम कर ले,तो उसे मधुमेह का ख़तरा 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है। ध्यान देने योग्य बात ये है कि वज़न घटाना ही एकमात्र समाधान नहीं है। जीवन-शैली को सम्पूर्ण रूप से बदलना ज़रूरी है। व्यायाम,पैदल चलना और योग जैसे व्यायाम रोज़ कम से कम आधा घंटा तो करना ही चाहिए(डॉ. मीना छाबड़ा,सेहत,नई दुनिया,फरवरी द्वितीयांक 2012) (डॉ. मीना छाबड़ा,सेहत,नई दनिया,फरवरी द्वितीयांक 2012)।


मधुमेह पर डा. टी.एस. दराल साहब का एक उपयोगी आलेख यहां है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन शैली में बदलाव लाना ही कई समस्याओं का हल है ...... उपयोगी पोस्ट

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  2. उचित सलाह देता अच्छा लेख ॥आभार

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  3. इस जानलेवा बिमारी के बारे में अच्छी जानकारी और उचित सलाह दी है आपने ...

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  4. बहुत अच्छी जानकारी और जागरूक करती पोस्ट
    आभार !

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