दाँतों की सड़न
जब दाँतों की ऊपरी सतह अर्थात एनामल एवं डेंटीन में सड़न हो तो उसे फीलिंग करके ठीक कर दिया जाता है। आजकल कांपोजिट मटीरियल फीलिंग की जाती है। यह फीलिंग दाँत के रंग की होती है एवं इसमें ड्रीलिंग भी कम करनी पड़ती है।
जब सड़न दाँत की जड़ तक पहुँच जाती है, तो मरीज को बेहद दर्द होता है। ऐसे दाँतों को रूट केनाल ट्रीटमेंट के द्वारा ठीक कर दिया जाता है। जबकि पहले दाँतों को निकाल दिया जाता था। आजकल यह ट्रीटमेंट मशीन द्वारा एक ही सिटिंग में कर दिया जाता है।
दंतविहीन मरीज
एक या अधिक दाँत नहीं होने पर आस-पास के दाँतों का सहारा लेते हुए अत्याधुनिक जिरकोनियम का ब्रिज लगा दिया जाता है। यह पूर्णतः धातु रहित, दाँत के कलर का, भारविहीन एवं बेहद मजबूत होता है। कई मरीजों को डेंटल इम्प्लांट की सहायता से दाँत लगा दिया जाता है।
पूर्णतः दंत विहीन- मरीजों के लिए फ्लैक्सिबल डेंचर बनाया जाता है। यह गिरने पर टूटता नहीं है। जिन मरीजों को कृत्रिम दाँत की बत्तीसी नहीं पहनना है, उन्हें सर्जरी के माध्यम से फिक्स दाँत लगा दिए जाते हैं।
काले-पीले, बदरंग, बाहर निकले हुए, एक-दूसरे के ऊपर चढ़े हुए, दो दाँतों के बीच में गेप अथवा सभी दाँतों के बीच में गेप को आधुनिक चिकित्सा की मदद से पूर्णत सुंदर एवं सफेद बना दिया जाता है।
आर्थोडोंशियाः दंत चिकित्सा की एक अतिविशिष्ट उपचार तकनीक है, जिसमें ब्रेसेस एवं स्टीनलैस स्टील के तारों का उपयोग किया जाता है। इसी से टेढ़े-मेड़े, बाहर की ओर निकले हुए, एक दूसरे पर चढ़े हुए दाँतों को एवं दाँतों के बीच गेप को पूर्णतः ठीक किया जा सकता है। स्ट्रेट वायर अत्याधुनिक तकनीक है। आजकल मेटालिक ब्रेसेस के स्थान पर सिरेमिक ब्रेसेस का चलन है। ये ब्रेसेस दाँत के कलर के होते हैं एवं दिखाई नहीं देते हैं। अत्यधिक पीले दाँतों एवं पान, तंबाकू खाने से बदरंग हुए दाँतों को ब्लीचिंग द्वारा पूर्णतः सफेद एवं चमकदार कर दिया जाता है।
फ्लोरोसिस : देश के कई शहरों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण दाँतों का रंग बदरंग हो जाता है। उनमें ऊपर पीले एवं सफेद चिकत्ते दिखाई पड़ते हैं। ऐसे दाँतों को जिरकोनियम कांपोजिट लेमिनेट्स एवं सिरेमिक लेमिनेट्स से सफेद एवं सुंदर बना दिया जाता है(डॉ.लीना श्रीवास्तव,सेहत,ऩई दुनिया,फरवरी द्वितीयांक 2012)।
अच्छी जानकारी आभार !
जवाब देंहटाएंUpyogi Post...
जवाब देंहटाएंमुझे भी फिलिंग करानी है... जल्द ही कराता हूँ...
जवाब देंहटाएंसचमुच चिकित्सा विज्ञान आज कहाँ से कहाँ पहुँच गया....
जवाब देंहटाएंबढ़िया आलेख...
सादर आभार.
एक और उपयोगी और सार्थक पोस्ट ....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही काम की जानकारी दी आपने फ़िर से राधारमण जी
जवाब देंहटाएंदांत का दर्द हमेशा जान ले लेता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने ....