गर्भग्रीवा का कैंसर हर साल सैक़ड़ों महिलाओं की जान ले लेता है। दुनिया भर में गर्भाशय ग्रीवा के कुल मामलों में से ६० प्रतिशत केसेस भारत में पाए जाते हैं। १ लाख से भी अधिक महिलाएँ हर साल गर्भग्रीवा के कैंसर से पी़िड़त हो रही हैं। जागरूकता के अभाव में गर्भग्रीवा कैंसर के मामलों में इजाफा हो रहा है। यदि इसे जल्दी पक़ड़ लिया जाए तो हमेशा के लिए इससे छुटकारा भी मिल सकता है।
काल्पोस्कोपी एक ऐसा हथियार है, जो इस बीमारी पर काबू पाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इस उपकरण से गर्भग्रीवा के मुख के हिस्से को ४० गुना ब़ड़ा करके देखा जा सकता है। इससे कैंसर के रोगाणुओं को फैलने से पहले पहचानने में आसानी हो जाती है। यह जाँच कुल १५ मिनटों में संपन्ना की जा सकती है। इसके अलावा रिपोर्ट भी तत्काल हासिल की जा सकती है। मरीज को न तो कोई परेशानी होती है और न दर्द होता है। पेपस्मियर टेस्ट भी इसी तरह का एक दूसरा टेस्ट है, जो गर्भग्रीवा के कैंसर को शुरुआती अवस्था में पक़ड़ सकता है। शरीर के इस हिस्से का द्रव लेकर बनाई गई स्लाइड, बायोप्सी अथवा कॉल्पोस्कोपी से इस बीमारी की पुख्ता जाँच संभव है। ३५ साल की उम्र के बाद हर महिला का साल में एक बार यह टेस्ट किया जाना चाहिए। इसके अलावा जिनकी शादी बहुत कम उम्र में हो जाती है और ५ से अधिक बच्चे पैदा हो चुके हों, उन महिलाओं को भी यह जाँच कराते रहना चाहिए। साथ ही जिनका सफेद पानी निकलता हो, संभोग के बाद खून आता हो, मासिक बंद होने के बाद भी खून आता हो, पीरियड के दिनों के गुजर जाने के बाद भी खून आता हो, ऐसी महिलाओं को जाँच अवश्य कराना चाहिए। यदि कॉल्पोस्कोपी अथवा पेपस्मियर से गर्भग्रीवा के कैंसर की पुष्टि हो जाती है तो एक छोटा ऑपरेशन भी किया जा सकता है। इससे पूरा गर्भाशय निकालने की जरूरत नहीं होती।
महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति बेहद खराब होने का एक बहुत ब़ड़ा कारण यह है कि उनकी किसी भी जरूरत को नजरअंदाज किया जाता है। रोग की अनदेखी करने से वह इतना ब़ढ़ जाता है कि कई बार महिलाओं की जान तक पर बन आती है।गर्भग्रीवा का कैंसर हर साल सैक़ड़ों महिलाओं की जान ले लेता है। दुनिया भर में गर्भाशय ग्रीवा के कुल मामलों में से ६० प्रतिशत केसेस भारत में पाए जाते हैं। १ लाख से भी अधिक महिलाएँ हर साल गर्भग्रीवा के कैंसर से पी़ड़ित हो रही हैं। जागरूकता के अभाव में गर्भग्रीवा कैंसर के मामलों में इजाफा हो रहा है। यदि इसे जल्दी पक़ड़ लिया जाए तो हमेशा के लिए इससे छुटकारा भी मिल सकता है।
क्या हैं फायदे
इस जाँच के लिए भर्ती होने की जरूरत नहीं है।
तत्काल नतीजा मिल जाता है।
ओपीडी में ही स्त्री रोग विशेषज्ञ मरीज का परीक्षण कर सकती हैं। इसी के साथ जरूरत समझने पर विशेषज्ञ बायोप्सी की सलाह भी दे सकते हैं।
जरूरत प़ड़ने पर कैंसर से पहले की स्थिति को भी तत्काल क्रायोथेरेपि से ठीक किया जा सकता है।
बिना देर किए हुए भविष्य के इलाज की योजना भी तैयार की जा सकती है।
इन सब फायदों के मद्देऩज़र यह प्रोसीजर मरी़ज़ के लिए वरदान साबित होता है(डॉ. शिल्पा भंडारी,सेहत,नई दुनिया,जनवरी 2012 प्रथमांक)।
ओपीडी में ही स्त्री रोग विशेषज्ञ मरीज का परीक्षण कर सकती हैं। इसी के साथ जरूरत समझने पर विशेषज्ञ बायोप्सी की सलाह भी दे सकते हैं।
जरूरत प़ड़ने पर कैंसर से पहले की स्थिति को भी तत्काल क्रायोथेरेपि से ठीक किया जा सकता है।
बिना देर किए हुए भविष्य के इलाज की योजना भी तैयार की जा सकती है।
इन सब फायदों के मद्देऩज़र यह प्रोसीजर मरी़ज़ के लिए वरदान साबित होता है(डॉ. शिल्पा भंडारी,सेहत,नई दुनिया,जनवरी 2012 प्रथमांक)।
यह एक काफी अच्छी जानकारी है !
जवाब देंहटाएंआभार ...बहुत उपयोगी पोस्ट है !
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जवाब देंहटाएंमहिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना ही चाहिए ...
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