शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

क्या आपका बच्चा भी दूध से चिढ़ता है?

अक्सर माताओं को यह शिकायत रहती है कि उनका बच्चा दूध नहीं पीता। दूध का एक गिलास उसके गले से नीचे उतारने के लिए न जाने कितने जतन किए जाते हैं। कई माताएँ जबरदस्ती करती हैं और बच्चे के हाथ पैर जक़ड़कर दूध उसके मुँह में डालने का प्रयत्न तक करती हैं। 

पीने से इंकार करने वाले बच्चे की माता के लिए दूध पिलाना दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण काम बन जाता है। कई बार बच्चा जिद पर आ जाता है फिर उस पर किसी उपाय का असर नहीं होता। सदियों से दूध को एक संपूर्ण आहार के रूप से स्वीकार किया जाता रहा है, किंतु कई बच्चे इसे नकारने लगते हैं। कई बार कारण ही पता नहीं चलता। कई बार दूध को रंगीन बनाने से लेकर उसमें तरह-तरह के चॉकलेट या सुगंधित पावडर डालकर बच्चे के मनमाफिक बनाने के प्रयत्न किए जाते हैं। बच्चों में दूध नहीं पीने की वजह मानसिक है। दिनभर के खेलकूद के बाद भूखे होने के बावजूद बच्चा दूध पीने से कतराता है। यदि आप गौर करें तो यह पाएँगे कि बच्चे आमतौर पर दूध के अन्य उत्पाद जैसे पनीर, मक्खन, चीज, घी, खोवा व आइसक्रीम तो आसानी से खा लेते हैं लेकिन दूध देखते ही भ़ड़क जाते हैं। 

क्या करें 
बच्चे के स्वाद को समझने का प्रयास करें। बच्चे के पीछे दौ़ड़ने के बजाए उसके थककर भूख लगने का इंतजार करें। बच्चा आखिर कब तक भूखा रह सकता है? जाहिर है कि वह भूखे रहने की बजाए खाना या पीना पसंद करेगा। माताएँ ममता के वशीभूत होकर बच्चे को पूरी तरह भूख लगने से पहले ही कुछ खिला देती हैं। कई बार माताएँ इसे भी काम का एक बोझ मान लेती हैं। जैसे दिन भर में हजार काम निपटाना है वैसे ही बच्चे को दूध पिलना भी एक काम समझ लेती हैं। काम पूरा करने की ज़िद में बच्चे को जरूरत नहीं होने पर भी दूध पिला दिया जाता है। यह नहीं भूलना चाहिए कि पूरी तरह से भूखा बच्चा दूध से भी परहेज नहीं करेगा। माता और बच्चे के इस मानसिक द्वंद्व में,अक्सर बच्चे इमोशनल ब्लैकमेल करके जीत जाते हैं। 

क्या देखें 
बच्चे में यह देखें कि कहीं वह तनावग्रस्त तो नहीं है क्योंकि ऐसे बच्चे आमतौर पर दूध से तौबा कर लेते हैं। बच्चे के समग्र विकास पर निगाह रखें। पढ़ाई से होने वाले तनाव को दूर रखें। किसी दूसरे बच्चे से वह ख़ौफ़ तो नहीं खा रहा है। बच्चों के साथ अधिक वक्त बिताएं। इससे माता-पिता और बच्चे के बीच आपसी संबंध मज़बूत होंगे। 

क्यों ज़रूरी है दूध पीना 
बच्चों को बातों ही बातों में यह समझाने का प्रयत्न करें कि दूध पीना उनके लिए कितना फ़ायदेमंद है। उन्हें बताएं कि दूध कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत है। दूध में प्रोटीन,कार्बोज और वसा होती है। इनमें विटामिन्स और खनिज भी होते हैं जो शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। इससे इन सभी की दैिक ख़ुराक पूरी मिल जाती है(डॉ. अनिल कुमार भदौरिया,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर पंचमांक 2011)

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपका सुझाव तो अच्छा है ,माताओं को इस पर अमल करना चाहिए ..

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२६) मैं शामिल की गई है /आप मंच पर आइये और अपने अनमोल सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक है
    http://www.hbfint.blogspot.com/2012/01/26-dargah-shaikh-saleem-chishti.html

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।