यह एक आम समस्या है जो हर दस में से एक व्यक्ति को होती है। बार-बार टॉयलेट जाना या एक बार में पेट साफ नहीं होने को चिकित्सक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम या आईबीएस कहते हैं। आमतौर पर २५ से ४५ की उम्र के लोगों में यह समस्या अधिक पाई जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएँ इससे ज़्यादा प्रभावित होती हैं।
लक्षण...
-पेट दर्द होना, पेट फूलना और गैस बनना एवं मितली और उल्टी होना।
-इससे दस्त लग सकती है या फिर कब्ज़ हो सकती है। कभी-कभी ये दोनो समस्याएँ एक साथ भी हो सकती हैं। घबराहट, तनाव। कुछ लोग अवसादग्रस्त हो जाते हैं।
-इसके अलावा पीठ दर्द, थकान, सिर दर्द जैसी परेशानियाँ भी हो सकती हैं।
-आईबीएस से पीड़ित एक तिहाई लोगों को दस्त की समस्या होती है, अन्य एक तिहाई को कब्ज़ की शिकायत होती है और बाकी बचे मरीज़ इन दोनों ही समस्याओं से त्रस्त होते हैं। कभी पतले दस्त होने लगते हैं तो कभी पेट एक बार में साफ नहीं होता। हालाँकि आईबीएस का संबंध किसी जानलेवा बीमारी से तो नहीं है, फिर भी इससे व्यक्ति का जीवन काफी प्रभावित होता है।
सावधानियाँ...
आईबीएस से बचने का कोई इलाज नहीं है लेकिन ये चीज़ें मददगार हो सकती हैं-
-दिनभर में क्या-क्या खाया? : एक डायरी बनाकर उसमें दिनभर में खाई गई चीज़ों को नोट करके रखें। इससे यह समझने में आसानी होगी कि कौनसी चीज़ खाने से लक्षण बढ़ जाते हैं।
-खाना जब आँत में पहुँचता है तो इसमें सिकुड़न होने लगती है। खाना इसी तरह पूरी आँत से होकर बाहर निकलता है। खाने में वसा की मात्रा अधिक होने पर आँत में तेज़ी से सिकुड़न होने लगती है। इसलिए वसा की मात्रा कम करने से आईबीएस के लक्षणों में राहत मिल सकती है।
-तली हुई चीज़ें और खाना पकाने के लिए तेल की मात्रा कम से कम कर दें।
-फैटरहित दूध का इस्तेमाल करें।
-खाने को तलने की बजाय भाप में पकाएँ या बेक कर लें।
-एक बार में बहुत अधिक मात्रा में खाना खा लेने से परेशानी ब़ढ़ सकती है।
-खाने को धीरे-धीरे अच्छे से चबाकर खाएँ।
कारण
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लिए ज़िम्मेदार कारण स्पष्ट नहीं हैं इसीलिए इस समस्या से बचना काफी मुश्किल हो जाता है। लेकिन फिर भी कुछ चीज़ों से दूर रहने से समस्या कम हो सकती है। तनाव, समय पर खाना न खाना, असंतुलित आहार, भोजन में खाद्य रेशों की कमी होने पर समस्या ब़ढ़ सकती है, इसलिए इनसे दूर रहें। खाने की कुछ चीज़ें भी इसके लिए ज़िम्मेदार हो सकती हैं लेकिन यह हरेक व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती हैं।
निदान
कुछ लोगों के पेट में संक्रमण होने पर भी आईबीएस जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसीलिए इसके निदान के लिए चिकित्सक से संपर्क करें। यदि मलमार्ग से खून निकलता हो तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएँ।
अन्य उपचार
पेट दर्द में राहत के लिए पिपरमिंट ऑइल का उपयोग किया जा सकता है। प्रोबायोटिक चीज़ें लेने से राहत मिल सकती है। इनमें मौजूद बैक्टीरिया से पाचन प्रक्रिया सुचारु होती है। दवाइयों के बजाय आहार में इन्हें शामिल करना बेहतर होता है। दही, छाछ, खमीर वाली चीज़ें जैसे ब्रेड आदि प्रोबायोटिक आहार होते हैं। अध्ययन बताते हैं कि इनसे पेट फूलने जैसे लक्षणों में राहत मिलती है।
घुलनशील फाइबर
खाने में रेशे की मात्रा बढ़ाने से आईबीएस के लक्षणों में राहत मिल सकती है। घुलशील रेशे ज़्यादा फायदेमंद होते हैं। यह फलियों, आलू, सेवफल, संतरा, मौसंबी, ओट और जौ जैसी चीज़ों में मिलता है। अघुलशील रेशे कब्ज़ में फायदेमंद हो सकते हैं। यह चोकरयुक्त गेहूँ का आटा, अनाज, सीरियल और फलों व सब्ज़ियों के छिलकों से मिलता है।
चित्त रहे स्थिर
नींद की कमी तनाव का कारण बनती है इसलिए पूरी नींद ज़रूर लें। हफ्तेभर में कम से कम कुछ घंटे अपने लिए निकालें। सप्ताहभर बहुत ज़्यादा व्यस्त रहते हों तो तनावमुक्ति के लिए थैरेपी भी ले सकते हैं ताकि चित्त स्थिर रहे(डॉ. अश्मित चौधरी,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर चतुर्थांक 2011)।
एक आम समस्या का बेहतरीन समाधान प्रस्तुत किया है आपने इस पोस्ट में बधाई .
जवाब देंहटाएंराधारमण जी बहुत ही उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, वास्तव में रोज की आपाधापी में जीवन यंत्रवत हो गया है,बहुत कुछ सँवारने में अपनेआप को सँवारना भूल जा रहे हैं, यह ब्लॉग अपने लिए भी जीना सिखा रहा है.आभार.
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ||
उपयोगी जानकारी ||
नयी जानकारी मिली ..आभार
जवाब देंहटाएंNice post.
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है ब्लॉगर्स मीट वीकली 25 में
http://hbfint.blogspot.com/2012/01/25-sufi-culture.html
बहुत अच्छी जानकारी है आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छी व उपयोगी जानकारी हेतु आभार|
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी है |
जवाब देंहटाएंNys
जवाब देंहटाएंNys
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