बुधवार, 21 दिसंबर 2011

सर्दियों में आहार-विहार

सर्दियों को आमतौर पर ठिठुरन , कंपकंपी , नजला , खांसी , जुकाम जैसे शब्दों को जोड़ा जाता है , लेकिन जो लोग खानपान के अलावा दूसरे जरूरी नियमों का पालन करते हैं , वे कहते हैं कि यह सर्दी थोड़े ही है , यह तो प्रकृति यौवन और स्वाथ्य बरसा रही है। आप भी प्रकृति की इस नेमत को लूटना चाहते हैं तो पहले अपने खानपान पर ध्यान दें। सर्दियों में कैसा हो आपका खानपान , एक्सपर्ट से बात करके बता रहे हैं रुनीत शर्मा :

सर्दियों में सामान्य डाइट - 
सर्दियों में हमें ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है , इसलिए ऐसी चीजें खानी चाहिए जो शरीर को गर्म रखने के साथ - साथ हमारे इम्यून सिस्टम को भी अच्छा रखें।

 - इस मौसम में प्रोटीन व फाइबर से भरपूर डाइट लेनी चाहिए।

 - प्रोटीनयुक्त खाना जैसे बादाम , अखरोट , काजू , पिस्ता शरीर को देर तक गर्म रखते हैं। दिन में कुल मिलाकर 7-8 गिरी ले सकते हैं। बादाम बिना भिगोए खाएं। इन्हें लेने के बाद ज्यादा देर तक भूख नहीं लगती और संतुष्टि का अहसास होता है। इससे सर्दियों में मोटापे से बचेंगे। दालें भी प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत हैं।

 - खाने में फल और सब्जियों की मात्रा ज्यादा हो। गाजर , मूली , टमाटर जैसी सब्जियां लेनी चाहिए जिनमें ऐंटिऑक्सिडेंट्स होते हैं , जो शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

 - ग्रीन , येलो , रेड और पर्पल कलर के फल भी ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं। विटामिन ए और विटामिन सी भी इनमें खूब होता है।

 - नॉनवेज खाना हमें सर्दियों में गर्म रखता है , लेकिन रेड मीट ( मटन ) की बजाय चिकन और फिश पर जोर देना चाहिए। हफ्ते में दो बार चिकन या फिश ले सकते हैं। चिकन में फैटी हिस्से की बजाय पतले हिस्से को ही खाएं। जैसे चिकन में बजाय लेग पोर्शन के ब्रेस्ट वाले हिस्से को लें। इसमें प्रोटीन और फैट कम होता है जो मोटापा नहीं बढ़ाता और शरीर को गर्म रखता है। नॉनवेज फ्राई करने की बजाय रोस्ट करके खाएं।

 - तिल से बनी चीजों में ओमेगा -3 होता है जिसमें ऐसे फैट होते हैं , जो शरीर को गर्मी देते हैं , लेकिन मोटापा नहीं बढ़ाते।

 - सर्दियों में डीहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है इसलिए पानी भरपूर पीते रहें। खाने की चीजों में प्रति आइटम कैलरी चार्टः 

लंच और डिनर 

खाने के आइटम-साइज-कैलरी (लगभग) 
चपाती (बिना घी की)-एक छोटी-70 
चपाती (बिना घी की)-एक मीडियम- 85 
पराठा-एक मीडियम-200 पूरी-एक मीडियम-125 
भठूरा-एक मीडियम-175 
आलू पराठा-एक मीडियम-225 
प्लेन राइस-एक कटोरी-20 
शाही पनीर-एक प्लेट-300 
मटर पनीर-एक प्लेट-280 
सलाद-एक मीडियम-200 
पुलाव (फ्राइड राइस)-एक कटोरी-175 

नॉनवेज 
खाने के आइटम-साइज-कैलरी (लगभग) 
चिकन / फिश / टिक्का / तंदूरी फिश-एक पीस-150 
बटर चिकन-एक पीस-225 
 फिश कटलेट्स / फ्राइड फिश-दो पीस-200 
 मटन करी-एक कटोरी-250 
 झींगा-एक कटोरी-200 

स्नैक्स खाने के आइटम्स-
साइज-कैलरी(लगभग) 
चाय (मीठी)-एक कप-40 
कॉफी (मीठी)-एक कप-60 
सॉफ्ट ड्रिंक-एक गिलास-225 
ब्रेड स्लाइस-दो पीस-230 
पिज्जा-एक स्मॉल-350 बर्गर-एक मीडियम-350 
चाऊमिन-एक प्लेट-300 चाट पापड़ी-एक प्लेट-450 
छोले कुलचे-एक प्लेट-390 बॉइल्ड एग-एक-90 

दूध से बने पदार्थ 
खाने के आइटम्स-साइज-कैलरी (लगभग) 
गाय का दूध-एक गिलास (200 एमएल)-135 
भैंस का दूध-एक गिलास (200 एमएल)-240 
टोंड दूध-एक गिलास (200 एमएल)-140 
डबल टोंड दूध-एक गिलास (200 एमएल)-90 
स्किम्ड दूध-एक गिलास (200 एमएल)-60 
दही-एक गिलास (200 एमएल)-दूध जितनी 
छाछ (नमक वाली या सादा)-एक गिलास (200 एमएल)-30 
लस्सी-एक गिलास (200 एमएल)-140 
पनीर (गाय का दूध वाला)-25 ग्राम-65 
पनीर (भैंस के दूध वाला)-25 ग्राम-75 खोया 
बर्फी-25 ग्राम-200 आइसक्रीम-एक कप (100 ग्राम)-250 

खाने के तीन जोन 
(ग्रीन( भरपूर खाएं ), येलो (सोच कर खाएं) और रेड) ग्रीन जोनें ( खाने से बचें )  
ग्रीन जोनः
वेजिटेबल चपाती
साबुत फल
चटनी-हरा धनिया-पुदीना
स्किम्ड मिल्क, छाछ, दही
बिना जर्दी के अंडे, मछ
स्प्राउट, कुरमुरे-भेलपुरी

यलो जोन
-नान
-फ्रूट चाट, 
-घर का बना जूस
-ग्रीन, वाइट, टोमेटो सॉस
-घी, क्रीम, बटर, पनीर
-चिकन
-वेज सेंडविच

रेड जोन
-बटर नान 
-कोल्ड ड्रिंक्स
-पैक्ड जूस 
-म्योनी, चीज डिप
-फ्लेवर्ड मिल्क
-योगर्ट, आइसक्रीमली
-मटन, रेड मीट 
-पैटीज
-समोसे
-बर्गर
-पिज्जा 

किसे कितनी कैलरी चाहिए रोजाना 

ग्रुप-विवरण-वजन (किलो)-कैलरी 
नवजात शिशु 0-6 महीने-5.4-92 
शिशु 6-12 महीने-8.4-80 
 बच्चे 1-3 साल-12.9-1060 
 लड़के 10-12 साल-34.3-2190 
 लड़कियां 10-12 साल-35.0-2010 
 लड़के 16-17 साल-55.4-3020 
 लड़कियां 16-17 साल-52.1-2440 
 पुरुष सामान्य कामकाज-60-2730 
 महिला सामान्य कामकाज-55-2230 

छोटे बच्चों की डाइट (1 साल तक ) 
- छह महीने तक के बच्चों को मां का दूध ही देना चाहिए। 
 - इस दौरान उन्हें किसी और तरल पदार्थ की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि मां के दूध में सभी जरूरी तत्व होते हैं। 
 - बच्चा बीमार है , तो भी मां का दूध बंद नहीं करना चाहिए। 
 - छह महीने के बाद बच्चों के लिए मां का दूध पर्याप्त नहीं होता इसलिए उन्हें केला , आलू , दाल का पानी , दाल - चावल या खिचड़ी देनी चाहिए। 
 - कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे को एक बार मीठा और एक बार नमकीन खाना दिया जाए। 
 - बच्चा एक साल से ज्यादा हो जाए तो उसे एक कटोरी दाल , सब्जी , चपाती उसकी जरूरत और भूख के हिसाब से देनी चाहिए। 

  बड़े बच्चों की डाइट ( स्कूल जाने वाले बच्चे ) 
 - दिनभर में बच्चों को 7-8 बार खाना देना चाहिए।
 - रात के दौरान हमारी 7-9 घंटे की फास्टिंग हो जाती है जो पूरे दिन में सबसे ज्यादा है इसलिए बच्चे को पूरे दिन एक्टिव रखने के लिए उसका ब्रेकफास्ट हेवी होना चाहिए, जिससे उसे दिनभर भरपूर मात्रा में ग्लूकोज मिल सके। 
 - अगर बच्चे सुबह ज्यादा नाश्ता नहीं ले सकते , तो उन्हें एक गिलास दूध और एक पीस बटर स्लाइस या दो बिस्किट दे सकते हैं। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट दोनों होते हैं। इसके अलावा , उपमा , पोहा , उबला अंडा आदि दे सकते हैं। बादाम शेक या बनाना शेक देना भी अच्छा है। 
 - लंच में वेजिटेबल सैंडविच , स्टफ्ड चपाती , परांठा रोल या पनीर रख सकते हैं। पनीर जिस तरह से पसंद है , बच्चों को दे सकते हैं। 
 - अगर बच्चा कभी नूडल्स या मैगी खाना चाहे तो उसमें अंकुरित दालें या सब्जियां मिलाकर रखें। इससे बच्चे को प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट और बाकी ऐंटिऑक्सिडेंट्स मिल जाएंगे। 
 - अगर बच्चे नूडल्स में सब्जियां न खाना चाहें तो सोयाबीन नगेट्स , अंडा , राजमा नगेट्स या पनीर टिक्का दे सकते हैं। 
 - सब्जी , दही , चपाती दे सकते हैं। सब्जियों में जिंक, सेलेनियम जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के अलावा ऐंटिऑक्सिडेंट्स होते हैं। 
 - शाम को जब बच्चे खेलकर आएं तो उन्हें थोड़ा नाश्ता जरूर देना चाहिए। इसमें एक गिलास दूध और बेक्ड चीला , वेज सेंडविच या स्टफ्ड परांठा दे सकते हैं। 
 - रात का खाना 8 बजे तक ले लेना चाहिए। यह हल्का हो। इसमें हेवी चीजें मसलन नॉनवेज और दालों से बचना चाहिए।
 - कोल्ड ड्रिंक्स से बचना चाहिए। 

युवाओं की डाइट (18 से 40 साल तक ) 

ब्रेकफास्ट : 
ब्रेकफस्ट के बारे में कहावत है - ब्रेकफस्ट शुड बी लाइक ए किंग , डिनर लाइक ए बेगर। युवाओं का भी ब्रेकफास्ट हेवी होना चाहिए , पर सुबह के वक्त दूध नाश्ते के साथ न लेकर 5-10 मिनट बाद लें , नहीं तो एसिडिटी हो सकती है। नमकीन चीजों के साथ दूध न लें। कॉर्न फ्लेक्स - दूध और दूध - फल साथ ले सकते हैं। 11 बजे के आसपास फल , सलाद , सूप या छाछ लेनी चाहिए। 

लंच : 
लंच से पहले सलाद जरूर लें। उसके बाद सूप पिएं। लंच में एक दाल , दो सब्जियां , चपाती और दूध की बनी एक चीज जरूर लें। टी टाइम : शाम के वक्त पकौड़े , एग रोल , टिक्की , समोसे , कचौड़ी न लेकर सलाद लें। सबसे अच्छा है कि लो कैलरी रेसिपी बुक खरीदें। इसमें से पढ़कर आप कई तरह के सलाद बना सकते हैं - जैसे रशियन सलाद , फ्रेंच सलाद। इन्हें बाजार से खरीदेंगे तो हो सकता है उनमें फैट कंटेंट ज्यादा हो। इसलिए अच्छा होगा , इन्हें घर पर ही बनाएं। रास्ते में बाहर के स्नैक्स से बचना चाहिए और साथ में घर का बना सलाद , फल , स्प्राउट्स लेने चाहिए। सर्दियों में कई बार चटपटा खाने का मन करता है। कभी - कभी थोड़ा चटपटा खा सकते हैं। अगर पकोड़े आदि खा रहे हैं तो बाकी खाना उबला हुआ लें। हफ्ते में एक बार से ज्यादा पकोड़े जैसी तली हुई चीजें न खाएं। 

डिनर : 
डिनर में भी सलाद जरूर शामिल करें। खाना खूब चबाकर खाएं। जल्दी - जल्दी खत्म करने से आपको लगेगा कि शायद आप भूखे रह गए हैं इसलिए आप ज्यादा खाना खा लेंगे और आपके शरीर में ज्यादा कैलरी पहुंचेगी जो मोटापा बढ़ा देगी। डिनर सोने से दो घंटे पहले लें। दूध पीना है तो डिनर के एक घंटे बाद पिएं। 

40-60 साल वालों का खाना 
 -40 से 60 साल की उम्र के लोगों को कोई न कोई बीमारी जरूर होती है जैसे हाइपरटेंशन , दिल की बीमारी , डायबीटीज , लिवर की बीमारी आदि। इस उम्र के लोगों का पाचन भी उतना अच्छा नहीं होता।

 - उन्हें थोड़ी - थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते - पीते रहना चाहिए।

 - फरमेंटेड फूड जैसे इडली - सांभर , ढोकला वगैरह ब्रेकफास्ट में लेना चाहिए क्योंकि ये चीजें आसानी से पच जाती हैं।

 - इस उम्र के लोग स्प्राउट्स ले सकते हैं जिनमें विटामिन बी -12 होता है। दिन में बीच - बीच में छाछ , दूध , नींबू पानी , कांजी , सूप आदि लेते रहें।

 - उड़द , राजमा , छोले , मटर आदि से परेशानी हो सकती है।

 - खाने में बैंगन ले सकते हैं जिसमें पायरोडॉक्सिन होता है जो ऐंटिऑक्सिडेंट है। महिलाओं को कैल्शियम और आयरन से भरपूर खाना लेना चाहिए क्योंकि इस उम्र में महिलाओं को मीनोपॉज शुरू हो जाता है। इसके लिए उन्हें दूध , हरी पत्तेदार सब्जियां और फल जरूर लेने चाहिए। इससे उनमें बीमारी से लड़ने की ताकत आती है। 

बुजुर्गों की डाइट (60 से ज्यादा ) 
-60 से ज्यादा के लोगों को थोड़ी - थोड़ी देर में सॉफ्ट और आराम से पचने वाला खाना लेना चाहिए। 

- बुढ़ापे में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और कब्ज की शिकायत रहती है। इसलिए बुजुर्गों को कैल्शियम से भरपूर रेशेदार खाना खाना चाहिए मसलन दलिया , खिचड़ी , सब्जियां आदि।

 - ब्रेकफास्ट में ढोकला , इडली - सांभर , दलिया , ओट्स , पपीता जैसा सॉफ्ट खाना देना चाहिए जिसे वे आराम से पचा सकें।

 - शाम के नाश्ते में पोहा , उपमा या सूजी से बनी चीजें ले सकते हैं। रात के खाने में दलिया या खिचड़ी में सब्जियां पसंद है तो वे ली जा सकती हैं। 


बीमार लोगों की डाइट 
- जो लोग दिल , डायबीटीज , लिवर , हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं , उन्हें कलर जोन को ध्यान में रखते हुए ही खाना लेना चाहिए। 

 - कम कैलरी , कम फैट और फाइबर से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। साथ ही उन्हें चिकनी , तली चीजों की बजाय माइक्रोवेव में रोस्ट की गई चीजों पर जोर देना चाहिए।

 - नमक , मिर्च कम लें और डायबीटीज वाले मीठा कम लें। 

 - ओमेगा 3 और ओमेगा 6 वाले तेल जैसे सोयाबीन , सनफ्लॉवर , ग्राउंड नट ऑयल का इस्तेमाल करें। 

 - सरसों के तेल में ओमेगा -6 होता है। ओमेगा -3 दिल के लिए अच्छा है। यह बैड कॉलेस्ट्रॉल को बाहर ले जाने में मदद करता है। इसलिए हफ्ते में एक बार फिश खाएं या तिल, तिल का तेल या उनसे बने पदार्थ खाएं। 

 - तरल पदार्थ ज्यादा लें , लेकिन कोल्ड ड्रिंक, डिब्बा बंद जूस और बेकरी प्रॉडक्ट्स से बचें क्योंकि इनमें सोडियम क्लोराइड ( नमक ) होता है। 

 - हाइपरटेंशन के मरीजों को सादा नमक न लेकर सैंधा नमक लेना चाहिए। सादा नमक में सोडियम क्लोराइड होता है और सैंधा नमक में पौटेशियम क्लोराइड। पौटेशियम क्लोराइड शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं होता। 


फूड पिरामिड 


 - पिरामिड नीचे से बड़ा होता है और ऊपर जाकर संकरा होता है। हमारा खाना भी इसी आधार पर होना चाहिए।

 - खाने के पिरामिड के सबसे नीचे वाले बड़े हिस्से में तरल पदार्थ आते हैं , इसलिए खाने का बड़ा हिस्सा तरल पदार्थ का होना चाहिए।

 - उसके ऊपर कार्बोहाइड्रेट्स आते हैं। मसलन चपाती , चावल , नूडल्स आदि। इतनी ही मात्रा चपातियों की होनी चाहिए। 

 - फूड पिरामिड के और ऊपर के ( छोटे ) हिस्से में फल और सब्जियां आती हैं। पूरे दिन में तीन - चार बार हमें फल और सब्जियां लेनी चाहिए। 

 - इसके ऊपर पिरामिड और छोटा होता जाता है जिसमें प्रोटीन आता है। इसका मतलब यह है कि हमें पूरे दिन में दो - तीन कटोरी दाल लेनी चाहिए। 

 - पिरामिड का जो छोटा ऊपरी हिस्सा बचता है , उसमें हैं मिल्क प्रॉडक्ट्स। पूरे दिन में एक गिलास दूध और थोड़ा दही या छाछ , पनीर लेने चाहिए। 

 - आखिरी छोटे हिस्से में घी , तेल और मिठाई आते हैं। दिनभर में एक सामान्य शख्स के लिए तीन छोटे चम्मच तेल या घी काफी है। इसके अलावा पूरे दिन में एक छोटा चम्मच नमक काफी है। पूरे दिन में तीन चम्मच शुगर से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। 

स्वस्थ रहें , मस्त रहें 
आयुर्वेद के मुताबिक , सर्दियों के मौसम में कैसा हो खानपान और कौन - सी बातों का रखा जाए ध्यान बता रहे हैं योगी डॉ . अमृत राज : 

क्या खाएं 
- साठी चावल , गेहूं , जौ। - करेला , परवल , तोरी , मेथी , लौकी , पालक , मूली , गाजर , गोभी का इस्तेमाल करें।

 - टमाटर , फलों का रस , सूखे मेवे , नारियल का इस्तेमाल भी फायदेमंद है।

 - त्रिफला चूर्ण और मुनक्का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये दोनों ही चीजें डॉक्टर की सलाह से लें।

 - छिलके वाली दाल , गर्म मसालों से रहित सब्जी का सेवन करना चाहिए।

 - सेब पौष्टिक तत्वों का खजाना है। सर्दियां ही नहीं , हर मौसम में इसके फायदे हैं।

 - आमलकी रसायन , ब्राह्मी रसायन आदि दवाओं को डॉक्टर से पूछकर लें। इन दवाओं को स्वस्थ व्यक्ति भी ले सकता है। 

 क्या न खाएं 
- मैदे से बनी चीजें , तेज मसालेदार व तली हुई चीजें , दही , मछली का मांस सर्दियों में वर्जित बताए गए हैं। अगर लेनी ही है तो कम मात्रा में लें।

 - अमरूद खाली पेट न खाएं।

 - मूंगफली , ककड़ी का ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदायक है। 

 गुणों की खान गर्म पानी 
- गर्म पानी सेहत के लिए गुणकारी दवा के तौर पर काम करता है। सेहत से लेकर सौंदर्य तक को निखारने में यह फायदेमंद है।

 - इससे कब्ज दूर करने में भी मदद मिलती है।

 - अगर आपको मोटापे से छुटकारा पाना है तो आपको सर्दियों में पूरे दिन गर्म पानी का सेवन करना चाहिए। - गर्म पानी में अगर गुलाब जल डाल लिया जाए और इसे धीरे - धीरे शरीर पर डाला जाए तो शरीर का दर्द गायब हो जाता है।

 - एक गिलास गर्म पानी में आधा नींबू और आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। डायबीटीज के मरीज इसे लेने से पहले डॉक्टर से बात जरूर कर लें।

 - किडनी को दुरुस्त बनाए रखने के लिए दिन में कम - से - कम दो बार यानी सुबह - शाम गुनगुना पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में गंदगी का जमाव नहीं हो पाता।

 - गुनगुने पानी को हड्डियों और जोड़ों की सेहत के लिए भी जरूरी माना जाता है। यह जोड़ों के बीच के घर्षण को कम करने में मदद करता है , जिससे गठिया जैसी बीमारी की आशंका कम हो जाती है।

 - सांस और गुर्दे संबंधी बीमारी वाले लोगों को ठंडे की जगह गर्म पानी ही पीना चाहिए। ठंडा पानी फेफड़ों और गुर्दों की क्रियाविधि को उत्तेजित करता है जो हानिकारक है। 

ध्यान रखें 
-सर्दियों की शुरुआत में कभी ज्यादा ठंड लगती है , तो कभी कम। ठंड न लगने पर भी गर्म कपड़े पहने रहें। ठंड का असर सबसे पहले सिर , हाथों व पैरों पर होता है , इसलिए इन्हें ढककर रखें। 

 - मुंह ढककर न सोएं। 

 - कोयले की अंगीठी जलाकर कमरे को गर्म करने की कोशिश न करें। 

 - ज्यादा ठंडी चीजों का सेवन न करें। ऐसे मौसम में लोग पानी कम पीते हैं , जिससे डीहाइड्रेशन हो सकता है। लंबी सैर पर जाने से पहले दो - तीन गिलास पानी पिएं। 

 - अल्कोहल का सेवन कम करें।

 - गर्म पेय या अल्कोहल लेने 15-20 मिनट बाद ही घर से बाहर जाएं। 

 - रोजाना नहाएं। नहाने के लिए आप गर्म पानी ले सकते हैं। तुलसी के 4-6 पत्ते और आधा चम्मच अजवायन दो गिलास पानी में उबालकर छान लें। इसे एक बाल्टी पानी में डालें और उस पानी से नहाएं। इससे आपके शरीर की खुश्की कम होगी। 

 - इस मौसम में एक्सरसाइज पर थोड़ा ध्यान देकर आप सेहत संबंधी कई समस्याओं से बच सकते हैं , लेकिन जिन लोगों को दिल की बीमारी है , उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है। एक्सरसाइज से सामान्य स्थिति की तुलना में शरीर से दस गुना ज्यादा गर्मी निकलती है , जिससे रक्त वाहिनियों की पेशियां फैलती हैं और दिल पर दबाव पड़ता है , इसलिए दिल के मरीजों को सर्दियों में ज्यादा एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए। एक्सरसाइज करने के कम - से - कम 30 मिनट बाद ही नहाएं। एक्सरसाइज के फौरन बाद कपड़े ना बदलें , न खुली जगह पर जाएं। 

 - सर्दियों में स्विमिंग से बचें। 

 - ठंडी हवा में टहलने से एंजाइना का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप तेज हवा में टहल रहे हैं , तो धीरे टहलें। टहलने के बाद कुछ देर रुककर घर के अंदर जाएं , जिससे शरीर से पसीना निकल जाए। 

 - सूरज की किरणों में मौजूद विटामिन डी हमारे लिए बेहद जरूरी है। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है। बच्चों के विकास के लिए विटामिन डी ज्यादा जरूरी है इसलिए थोड़ा समय धूप सेंकने के लिए निकालें। 
 - सर्दियों में बुखार , पित्त , सिरदर्द , नजला - जुकाम होने की आशंका ज्यादा होती है। 

 - पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए सर्दियों का मौसम ज्यादा नुकसानदायक होता है। 
एक्सपर्ट पैनल : डॉक्टर दीपिका अग्रवाल कत्याल ,एचओडी, डायटीशियन विभाग ,इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल प्रियंका शर्मा ,हेड डायटीशियन ,मेट्रो अस्पताल किरण दीवान ,सीनियर डायटीशियन ,लोकनायक अस्पताल नीलम जैन ,डायटीशियन ,लोकनायक अस्पताल(नवभारत टाइम्स,18.12.11)

4 टिप्‍पणियां:

  1. काफी अच्छी रही आज की जानकारी
    बहुत बहुत आभार !

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  2. सर्दियों के मौसम में हर तरह की उपयोगी जानकारी के साथ- साथ स्वस्थ रहने के सारे टिप्स दे दिए ...

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  3. यह लेख तो वाकई बहुत ही अच्छा है.

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