मंगलवार, 8 नवंबर 2011

सुरक्षित गर्भ के लिए करवाएँ टीकाकरण

सूक्ष्मजीवी को नंगी आंखों से देखना संभव नहीं है। इसलिए,इनसे बचने के कितने ही प्रयास कर लें,सुरक्षा के लिए पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो सकते। शरीर में प्रवेश कर कीटाणु बीमारियों का कारण बनते हैं और फिर इलाज़ भी जटिल हो जाता है। इनसे बचने के लिए टीकाकरण एक कारगर उपाय है। गर्भावस्था के पहले और इसके दौरान टीकाकरण बेहद महत्वपूर्ण होता है। कुछ संक्रमण ऐसी बीमारियां पैदा करते हैं जो गर्भवती व शिशु दोनों को काफी नुकसान पहुंचाती हैं। कोई भी टीका चिकित्सक की परामर्श के बिना न लें। वही आपको आवश्यकतानुसार सही टीके के बारे में पता पाएंगे। 

 दवा के प्रकार के अनुसार टीके तीन प्रकार के होते हैं-

जीवित सूक्ष्मजीवयुक्त टीके : इन्हें लाइव वायरस भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसे टीकों में जीवाणु मौजूद होते हैं। गर्भवती महिला को ये टीके नहीं लगाए जाते हैं।

निष्क्रिय जीवाणुयुक्त टीके : इन टीकों में जीवाणु निष्क्रीय अवस्था में होता है।

टॉक्सॉइडयुक्त टीके : बैक्टेरिया की मौजूदगी से प्रोटीन की रसायनिक संरचना में परिवर्तन आ जाता है, जिसे टॉक्सॉइड कहते हैं।  

कुछ टीकों में इन टॉक्सॉइड्स का इस्तेमाल किया जाता है। गर्भधारण करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें। महिला व शिशु स्वस्थ रहें, इसके लिए गर्भधारण करने से पहले कुछ टीके आवश्यक होते हैं, नहीं तो जटिलताएँ हो सकती हैं। इन टीकों को लगाने और गर्भधारण करने के बीच के कम से कम 1-2 महीने का अंतराल ज़रूरी है।  


गर्भवती को ये टीके लगाए जा सकते हैं- 
हैपेटाइटिस-बी 
मेनिन्जोकोकल 
निमोकोक्कल 
रेबीज़ 


गर्भधारण करने से पहले लगवाएं ये टीकेः 
मीज़ल्स 
मम्स 
रुबैला 
वेरिसैला 
बीसीजी 
टीडैप(टायफायड,डिप्थीरिया और परट्युसिस) 
(सेहत,नई दुनिया,नवम्बर 2011 प्रथमांक)। 


शाम सात बजेः 


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