सोमवार, 7 नवंबर 2011

जल-योग

जल ही जीवन है, यह तो हम जानते ही हैं। अलग-अलग तरह से इसके सेवन से तमाम तरह के लाभ भी मिलते हैं। जल योग न केवल उच्च रक्तचाप, कब्ज, गैस आदि बीमारियों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि यह हमारी हड्डियों, मस्तिष्क और हृदय को मजबूत बनाने में भी खास भूमिका निभाता है।

हमारे योगियों ने ‘जल योग’ पर बहुत विस्तार से बताया। यह भी कहा कि हरेक व्यक्ति को रात में ‘तांबे के बर्तन’ में जल रखकर प्रात:काल बासी मुंह से ‘उत्कट’ आसन में बैठकर उसका सेवन करना चाहिए। इस जल से हमारे शरीर में वात-पित्त और कफ का नाश होता है।

पहले लोग तांबे के बर्तनों में भोजन पकाते या फिर परोसते थे। तांबे के गिलास में ही जल पीते थे। लेकिन आज तांबे के बर्तन के महत्व को गौण कर दिया गया है। लेकिन इसके अनेक फायदों से हम इनकार नहीं कर सकते। यही कारण है कि आज भी बहुत से लोग तांबे के बरतन में रात में पानी रखकर सुबह उसका सेवन करते हैं। तांबे के बर्तन में रखे जल के लाभ के बारे में हम आपको ‘जल योग’ के माध्यम से बताते हैं ताकि आप भी इसका भरपूर लाभ उठा सकें। 

जल योग के लिए सामग्री: 
तांबे का एक लोटा या फिर जग और तांबे के एक गिलास की जरूरत पड़ेगी। रोज रात को सोने से पहले लोटे या जग में पानी भरकर उसे ढ़ककर किसी लकड़ी के ऊपर या लकड़ी की मेज पर रख दें। प्रात:काल उठकर बिना ब्रश किए इस जल को ‘उत्कट आसन’ में बैठकर पीएं। शुरू-शुरू में दो गिलास तक जल पीएं। उसके बाद धीरे-धीरे 5 गिलास तक पीने का अभ्यास करें। जल का सेवन करने के बाद शौच आदि के लिए जाएं। इस अभ्यास को आजीवन करें। इससे आपके शरीर में केवल पानी ही नहीं बल्कि कॉपर भी प्राकृतिक रूप से जाएगा। द वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार प्रत्येक भारतीय को रोज 2 मिग्रा कॉपर लेना जाहिए जो इस योग की सहायता से प्राप्त हो सकता है। 

स्वास्थ्य पर कॉपर का प्रभाव 
जब तक हम तांबे के लोटे में रखा हुआ जल रोज प्रात:काल में पीते हैं, हमारे शरीर को कॉपर की जरूरी मात्र मिलती रहती है। कॉपर की यह जरूरी मात्र हमारी हड्डियों, मस्तिष्क, हृदय और शरीर के कई अन्य अंगों को मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभाती है। इतना ही नहीं, जल योग द्वारा हम उच्च रक्तचाप, कब्ज, गैस, अजीर्ण और हृदय रोग जैसे रोगों से भी अपना बचाव कर पाते हैं। 

कॉपर के दूसरे स्त्रोत 
यदि हम अपने भोजन में हरी सब्जी, अनाज, सेम, आलू, गहरे हरे पत्तों वाली सब्जियां, काली मिर्च, बादाम, दालें, दही शामिल करें तो हमारे शरीर को तांबे की जरूरत पूरी हो जाती है। अपने खाने पर थोड़ा ध्यान रखने पर हमें यह आसानी से मिल जाता है। 

सावधानियां 
किसी भी चीज की अति तो हानिकारक होती ही है। इसी प्रकार तांबे की भी निश्चित मात्र तय की गई है। यदि आप 2 मिग्रा से ज्यादा तांबा लेते हैं तो आपको लीवर, मस्तिष्क और किडनी संबंधित समस्या हो सकती है। इसलिए इस योग के लिए भी किसी अच्छे योग गुरु से सलाह ले लें(सुनील सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,3.11.11)। 

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8 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों बातें सही हैं। एक तांबे के लोटे में जल पीने वाले, दूसरी अति किसी चीज़ की हानिकारक होती है।

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  2. बहुत बढिया जानकारी ………आभार्।

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  3. उपयोगी आलेख,आभार !

    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
    http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html

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  4. bahut achchi jaankari di hai sir aapne...

    is salaha par bhi amal karenge..
    jai hind jai bharat

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  5. बहुत बढ़िया जानकारी परक पोस्ट है....आभार

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  6. अच्छी जानकारी है !

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