हमारी अधिकांश बीमारियों का कारण पेट के रोग होते हैं और पेट के रोगों में प्रमुख है कब्ज। दिल्ली जैसे महानगरों में तो कब्ज की समस्या और आम है, क्योंकि भागदौड़ और व्यस्तताओं से भरी दिनचर्या में अपने पेट का पूरा ख्याल नहीं रख पाते। योग की सहायता से कब्ज की समस्या से निजात पा सकते हैं।
हमारे शरीर में अधिकांश बीमारियों का कारण पेट के रोग होते हैं और पेट रोग का प्रमुख कारण कब्ज है। खासकर महानगरों की व्यस्त दिनचर्या में हम न तो समय पर खाना खा पाते हैं और न ही नित्यक्रियाओं का ध्यान रख पाते हैं।
कब्ज कारण
भोजन-समय की अनियमितता
सुबह-शाम शौच ठीक से ना होना
बासी भोजन का सेवन
धूम्रपान एवं मदिरा का सेवन
कम पानी पीना
रात्रि में जगना और सामान्य शारीरिक व्यायाम का अभाव
मिर्च-मसाले वाले भोजन का सेवन
गोस्त, फास्ट-फूड, मैदा आदि का सेवन
प्राकृतिक उपचार
कब्ज से ग्रसित व्यक्ति को अपने भोजन को बार-बार चबाकर खाना चाहिये। एकाग्रचित्त होकर खूब चबा-चबाकर खाने से मुंह का लार रस भली-भांति मिल जाता है, जो पाचन क्रिया में बहुत सहायक होता है। अधिक चबाकर खाने से दांतों, मसूढ़ों और चेहरे की मांसपेशियों का व्यायाम भी होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को आहार में रेशों की मात्र वाली सब्जियों और फलों का सेवन करना चाहिए, जिससे मल निकासी आसान हो जाती है। सेब, दाल, सूप अथवा कांजी का प्रचुर मात्र में सेवन करना चाहिए। रात के भोजन के बाद टहलना लाभदायक है।
रात में सोने से पहले तांबे के किसी बरतन में पानी रखें। प्रात:काल शौच जाने से पहले इस पानी को पीएं। पेट में कब्ज नहीं रहेगी। दिन-भर में कम से कम 15 से 18 गिलास पानी पीएं। हमेशा भूख से थोड़ी कम मात्र में भोजन लेना चाहिए। भोजन के एक घंटे बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए।
योगाभ्यास और कब्ज निवारण
कहा जाता है कि ‘काया राखे धरण और पूंजी राखे व्यवहार’। अर्थात जिस व्यक्ति का शरीर रूपी मंदिर स्वस्थ रहेगा तो वह अपने ही काम नहीं, बल्कि परोपकार व सेवा भावना भी कर सकेगा। योगाभ्यास में कुछ आसनों और मुद्रा के माध्यम से हम इस रोग से मुक्ति पा सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं- अग्निसार क्रिया, मयूरासन, वज्रासन, सुप्तपवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तान आसन, धनुरासन, मत्स्यासन, कूर्मासन, चक्रासन, योग मुद्रा। प्रस्तुत है
कहा जाता है कि ‘काया राखे धरण और पूंजी राखे व्यवहार’। अर्थात जिस व्यक्ति का शरीर रूपी मंदिर स्वस्थ रहेगा तो वह अपने ही काम नहीं, बल्कि परोपकार व सेवा भावना भी कर सकेगा। योगाभ्यास में कुछ आसनों और मुद्रा के माध्यम से हम इस रोग से मुक्ति पा सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं- अग्निसार क्रिया, मयूरासन, वज्रासन, सुप्तपवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तान आसन, धनुरासन, मत्स्यासन, कूर्मासन, चक्रासन, योग मुद्रा। प्रस्तुत है
अग्निसार क्रिया व मयूरासन की विधि-
अग्निसार क्रिया विधि: पद्मासन या सुखासन की स्थिति में या फिर खड़े होकर भी अग्निसार क्रिया की जा सकती है। अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखें और सांस छोड़कर पेट अन्दर खींचें और उसे तेजी से 8-10 बार छोड़ें व पिचकाएं। फिर यथासंभव अपनी क्षमता अनुसार जब तक आप सांस रोककर यह क्रिया कर सकते हैं करें, उसके बाद सांस लें। और फिर सारा श्वास बाहर निकालकर पेट को अन्दर-बाहर खींचें। शुरू-शुरू में अभ्यास 4 से 5 बार करना चाहिए।
लाभ: इस क्रिया के द्वारा मंदाग्नि दूर होकर जठराग्नि प्रदीप्त होती है। कब्ज के लिए यह रामबाण है। पेट का कड़ापन, वायु, गोला और तिल्ली में लाभदायक है। मासिक संबंधी विकार दूर होते हैं और मोटापे के लिए लाभदायक है।
विशेष: इसको करने की जल्दबाजी न करें। यह क्रिया हमेशा खाली पेट करनी चाहिए। हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए यह वजिर्त है।
मयूरासन विधि: इसमें शरीर की आकृति मोर जैसी हो जाती है। भूमि पर आसन बिछाकर सर्वप्रथम वज्रासन लगाइए। जांघों और नितम्बों को उठाते हुए आगे की ओर झुकिये। दोनों हाथों एवं घुटनों के बल मयूर की आकृति में आएं। हथेलियां व पंजों और दोनों कोहनियों को नाभि से लगाते हुए दोनों टांगों को भूमि से ऊपर उठाइये। टांगों को पीछे की ओर तानिये, शरीर का भार बाहों और कोहनियों पर डालते हुए धरती के समान्तर शरीर को उठाइये। शुरू में यह आसन एक बार ही करें। धीरे-धीरे क्षमता के अनुसार बढ़ाएं।
लाभ: पेट के रोग, कृमि और कब्ज के लिए यह रामबाण है और हृदय और छाती, अमाशय एवं आंतों के लिए लाभप्रद है।
विशेष: वृद्ध एवं कमजोर स्त्रियों के लिए यह वजिर्त है। यह एक कठिन आसन है। इसे करने के लिए अभ्यास की जरूरत है। जल्दबाजी ना करें(सुनील सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,4.8.11)।
अग्निसार क्रिया विधि: पद्मासन या सुखासन की स्थिति में या फिर खड़े होकर भी अग्निसार क्रिया की जा सकती है। अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखें और सांस छोड़कर पेट अन्दर खींचें और उसे तेजी से 8-10 बार छोड़ें व पिचकाएं। फिर यथासंभव अपनी क्षमता अनुसार जब तक आप सांस रोककर यह क्रिया कर सकते हैं करें, उसके बाद सांस लें। और फिर सारा श्वास बाहर निकालकर पेट को अन्दर-बाहर खींचें। शुरू-शुरू में अभ्यास 4 से 5 बार करना चाहिए।
लाभ: इस क्रिया के द्वारा मंदाग्नि दूर होकर जठराग्नि प्रदीप्त होती है। कब्ज के लिए यह रामबाण है। पेट का कड़ापन, वायु, गोला और तिल्ली में लाभदायक है। मासिक संबंधी विकार दूर होते हैं और मोटापे के लिए लाभदायक है।
विशेष: इसको करने की जल्दबाजी न करें। यह क्रिया हमेशा खाली पेट करनी चाहिए। हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए यह वजिर्त है।
मयूरासन विधि: इसमें शरीर की आकृति मोर जैसी हो जाती है। भूमि पर आसन बिछाकर सर्वप्रथम वज्रासन लगाइए। जांघों और नितम्बों को उठाते हुए आगे की ओर झुकिये। दोनों हाथों एवं घुटनों के बल मयूर की आकृति में आएं। हथेलियां व पंजों और दोनों कोहनियों को नाभि से लगाते हुए दोनों टांगों को भूमि से ऊपर उठाइये। टांगों को पीछे की ओर तानिये, शरीर का भार बाहों और कोहनियों पर डालते हुए धरती के समान्तर शरीर को उठाइये। शुरू में यह आसन एक बार ही करें। धीरे-धीरे क्षमता के अनुसार बढ़ाएं।
लाभ: पेट के रोग, कृमि और कब्ज के लिए यह रामबाण है और हृदय और छाती, अमाशय एवं आंतों के लिए लाभप्रद है।
विशेष: वृद्ध एवं कमजोर स्त्रियों के लिए यह वजिर्त है। यह एक कठिन आसन है। इसे करने के लिए अभ्यास की जरूरत है। जल्दबाजी ना करें(सुनील सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,4.8.11)।
आपने इतनी अच्छी बातें बताई हैं लेकिन इन्हें मानना बहुत भारी है। ख़ास तौर से मयूरासन करना।
जवाब देंहटाएंआप अपनी रचना को सोमवार में देख सकेंगे ‘ब्लॉगर्स मीट वीकली‘ में। आप सादर आमंत्रित हैं।
http://www.hbfint.blogspot.com/
कब्ज ! तमाम बिमारियों की वजह ! अच्छी जानकारी और उपयोगी भी , आपने उपरोक्त पोस्ट में जिक्र किया है की ताम्बे के बर्तन में रखा पानी कब्ज में लाभदायक है और भी इसकी उपयोगिता जानना चाहूँगा अगली किसी भी पोस्ट में .
जवाब देंहटाएंआभार उपरोक्त पोस्ट हेतु.
अच्छी और उपयोगी जानकारी....आभार
जवाब देंहटाएंयोग कब्ज भी भगा सकता है पता नहीं था |
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी ...
जवाब देंहटाएंयह एक आम बिमारी है और अधिकंश लोग इसके प्रति लापरवाह रहते हैं, जबकि छोटो-मोटे उपायों और थोड़ी सी सावधानी से इससे बचा जा सकता है।
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी...आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकब्ज से बचाव मेँ काफी उपयोगी पोस्ट... सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंupyogee jankari---abhar
जवाब देंहटाएंbahut badhiya jankari........
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