क्या आप भी अपने आसपास की चीजों और घटनाओं को लेकर ज्यादा सेंसिटिव हैं, जिस वजह से लोग आपको ओवर सेंसिटिव कहते हैं? अगर ऐसा है तो आपको बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप चाहें, तो इसमें बदलाव ला सकते हैं :
सायकॉलजी के नजरिए से ओवर सेंसिटिव होना मेंटल इलनेस नहीं है। लेकिन किसी भी माहौल में आपके रिएक्ट करने के तरीके से अपकी लाइफ की क्वॉलिटी पर जरूर असर पड़ता है। वैसे, सेंसिटिव लोगों के बारे में एक बात जानने की है कि इनमें कोई भी 'नॉन सेंसिटिव' नहीं होता। बस अलग- अलग इंसानों में इसकी डिग्री अलग- अलग होती है।
क्या हैं प्लस पॉइंट
एक्सपर्ट्स की राय में, हाईली सेंसिटिव लोगों का टेस्ट थोड़ा उम्दा होता है। फिर चाहे कपड़ों का सिलेक्शन हो, कुकिंग करनी हो, म्यूजिक सुनना हो या फिर लोगों से बात करनी हो। ऐसे लोग किसी भी काम को हल्के तौर पर नहीं लेते। वे कोई भी एक्शन केयरफुली लेते हैं। अपने भीतरी इमोशनल स्टेटस के प्रति अवेयर होते हैं। इसीलिए वे किसी भी क्रिएटिव काम को बेहद खूबसूरत अंदाज में अंजाम देते हैं। आपको कई एक्टर, डायरेक्टर, राइटर और पेंटर ऐसे मिलेंगे, जो बेहद संवेदनशील होंगे। यही वजह है कि एक अच्छा टीचर, मैनेजर या थेरेपिस्ट बनने के लिए सेंसिटिव होना अच्छा माना जाता है।
न हों अपसेट
सैन फ्रांसिस्को बेस्ड सायकॉथेरेपिस्ट और 'द हाईली सेंसिटिव पर्सन' के राइटर एलेन एरोन के मुताबिक, 'जब ऐसे लोगों की वर्क परफार्मेंस के साथ उनके सेल्फ एस्टीम को जोड़ा जाता है, तो वे अपसेट हो जाते हैं। दरअसल, तथाकथित 'सुपर सेंसिटिव' लोगों में नेगेटिव ओपिनियन को लेकर इतनी ज्यादा सेंसिटिविटी होती है कि वे इसे ब्रेन के उसी पार्ट में रिकॉर्ड करते हैं, जहां फिजिकल पेन के लिए जगह होती है।' इस बारे में सालों से रिसर्च कर रहे हावर्ड के सायकॉलजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर जीरोम कागन का कहना है कि प्रैक्टिकल अप्रोच के नाम पर मेट्रोज में लोगों के बिहेवियर में इतनी बेरुखी है कि हाईली सेंसिटिव लोग खुद को चेंज किए बगैर रह नहीं सकते। वैसे भी, सेंसिटिव लोग खुद को ही पेन और स्ट्रेस देते हैं। दरअसल, मूड डिस्ऑर्डर से भी खुद को ही तकलीफ पहुंचती है।
ऐसे करें हैंडल
अपनी सेंसिटिविटी को क्रिएटिव कामों के लिए सहेज कर रखें। सायकॉलजिस्ट डॉ . चित्रा माहेश्वरी सजेशन देती हैं , ' अपने इमोशंस पर कंट्रोल करना सीखने से आपकी मुश्किलें आसान हो सकती हैं। बेहतर होगा कि आप बेवजह किसी के कमेंट्स को सीरियसली न लें। आमतौर पर ओवर सेंसिटिव लोग तब हर्ट फील करते हैं , जब उन्हें लगता है कि उन्हें ' रॉन्ग वे ' में कोई बात कही गई है। ऐसी कंडिशन में आप इस तरह से सोच सकते हैं कि जिसकी बातों से आप हर्ट फील कर रहे हैं। हो सकता है कि वह बैड मूड में हो या फिर उसने सोच - समझकर कुछ न कहा हो। '
कॉन्फिडेंस हो हाई
सेंसिटिव होने से बचने के लिए आपको अपने कॉन्फिडेंस लेवल पर वर्क करने की जरूरत है। बकौल डॉ . माहेश्वरी , ' रातों रात तो यह नहीं हो सकता , लेकिन कंटीन्यू प्रैक्टिस से आप ऐसा कर सकते हैं। अगली बार जब किसी का कमेंट खराब लगे , तो रोने या उदास होने की बजाय उसे सिंपली जवाब दे दें और उसी उधेड़बुन में न उलझें रहें। किसी भी बात को पर्सनली न लें। ' अगर आप खुश रहना चाहते हैं , तो हमेशा पॉजिटिव सेल्फ टॉक की आदत डालें। अपना आकलन खुद करें और इसका अधिकार किसी और को न दें। अगर आप अपने थॉट्स में चेंज लाएंगे , तो खुद - ब - खुद पॉजिटिव फीडबैक मिलने शुरू हो जाएंगे।
प्रफेसर कागन के मुताबिक , हर काम में परफेक्शन की तलाश भी सही नहीं है। इसके चक्कर में ढेर सारी मेहनत के बाद भी जब लाइफ में सब कुछ मनचाहा नहीं होता , तब आप डिप्रेस्ड फील करते हैं। और सबसे अंत में , अपने ' सेंसिटिविटी ' के टैग पर खराब महसूस करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यह क्वॉलिटी यह भी बताती है कि आप दूसरों की फीलिंग्स की परवाह करते हैं(प्रीतंभरा प्रकाश,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,4.5.11)।
न हों अपसेट
सैन फ्रांसिस्को बेस्ड सायकॉथेरेपिस्ट और 'द हाईली सेंसिटिव पर्सन' के राइटर एलेन एरोन के मुताबिक, 'जब ऐसे लोगों की वर्क परफार्मेंस के साथ उनके सेल्फ एस्टीम को जोड़ा जाता है, तो वे अपसेट हो जाते हैं। दरअसल, तथाकथित 'सुपर सेंसिटिव' लोगों में नेगेटिव ओपिनियन को लेकर इतनी ज्यादा सेंसिटिविटी होती है कि वे इसे ब्रेन के उसी पार्ट में रिकॉर्ड करते हैं, जहां फिजिकल पेन के लिए जगह होती है।' इस बारे में सालों से रिसर्च कर रहे हावर्ड के सायकॉलजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर जीरोम कागन का कहना है कि प्रैक्टिकल अप्रोच के नाम पर मेट्रोज में लोगों के बिहेवियर में इतनी बेरुखी है कि हाईली सेंसिटिव लोग खुद को चेंज किए बगैर रह नहीं सकते। वैसे भी, सेंसिटिव लोग खुद को ही पेन और स्ट्रेस देते हैं। दरअसल, मूड डिस्ऑर्डर से भी खुद को ही तकलीफ पहुंचती है।
ऐसे करें हैंडल
अपनी सेंसिटिविटी को क्रिएटिव कामों के लिए सहेज कर रखें। सायकॉलजिस्ट डॉ . चित्रा माहेश्वरी सजेशन देती हैं , ' अपने इमोशंस पर कंट्रोल करना सीखने से आपकी मुश्किलें आसान हो सकती हैं। बेहतर होगा कि आप बेवजह किसी के कमेंट्स को सीरियसली न लें। आमतौर पर ओवर सेंसिटिव लोग तब हर्ट फील करते हैं , जब उन्हें लगता है कि उन्हें ' रॉन्ग वे ' में कोई बात कही गई है। ऐसी कंडिशन में आप इस तरह से सोच सकते हैं कि जिसकी बातों से आप हर्ट फील कर रहे हैं। हो सकता है कि वह बैड मूड में हो या फिर उसने सोच - समझकर कुछ न कहा हो। '
कॉन्फिडेंस हो हाई
सेंसिटिव होने से बचने के लिए आपको अपने कॉन्फिडेंस लेवल पर वर्क करने की जरूरत है। बकौल डॉ . माहेश्वरी , ' रातों रात तो यह नहीं हो सकता , लेकिन कंटीन्यू प्रैक्टिस से आप ऐसा कर सकते हैं। अगली बार जब किसी का कमेंट खराब लगे , तो रोने या उदास होने की बजाय उसे सिंपली जवाब दे दें और उसी उधेड़बुन में न उलझें रहें। किसी भी बात को पर्सनली न लें। ' अगर आप खुश रहना चाहते हैं , तो हमेशा पॉजिटिव सेल्फ टॉक की आदत डालें। अपना आकलन खुद करें और इसका अधिकार किसी और को न दें। अगर आप अपने थॉट्स में चेंज लाएंगे , तो खुद - ब - खुद पॉजिटिव फीडबैक मिलने शुरू हो जाएंगे।
प्रफेसर कागन के मुताबिक , हर काम में परफेक्शन की तलाश भी सही नहीं है। इसके चक्कर में ढेर सारी मेहनत के बाद भी जब लाइफ में सब कुछ मनचाहा नहीं होता , तब आप डिप्रेस्ड फील करते हैं। और सबसे अंत में , अपने ' सेंसिटिविटी ' के टैग पर खराब महसूस करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यह क्वॉलिटी यह भी बताती है कि आप दूसरों की फीलिंग्स की परवाह करते हैं(प्रीतंभरा प्रकाश,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,4.5.11)।
विचारणीय पोस्ट है...स्वाभाव के हर पहलू का कुछ नकारत्मक कुछ सकारात्मक प्रभाव होता ही है....
जवाब देंहटाएंJANKARI KE LIYE AABHAR.
जवाब देंहटाएं............
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