गुरुवार, 24 मार्च 2011

बुजुर्गों के लिए ज़रुरी है विशेषज्ञों का इलाज़

बढ़ती उम्र जीवन का अमिट सत्य है। उम्र के ढलने के साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ प्रकट होने लगती हैं। इन समस्याओं का सही उपाय न करने पर स्वयं को ही नहीं बल्कि परिवार वालों को भी काफी कष्ट उठाने पड़ते हैं। अब किताब के अनुसंधानों ने यह साबित कर दिया है कि वृद्धावस्था संबंधी कई बीमारियों का समाधान संभव है।

बुजुर्ग अन्य वयस्कों से भिन्न क्यों?
क्या कोई भी जनरल फिशियन या स्पेशलिस्ट बुजुर्गों का इलाज कर सकता है? यह प्रश्न हमारे मन में आना स्वाभाविक है। समझना होगा कि बुढ़ापे की बीमारियों का इलाज एक जेरियाट्रिक स्पेशलिस्ट ही बेहतर कर सकता है।

पहला कारण यह है कि लोग वृद्धावस्था में अकसर एक से अधिक बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। इसलिए हर एक बीमारी को पहचान कर सभी का विधिवत इलाज करना जरूरी है। खास तौर से यह मुश्किल हो जाता है जबकि इन बीमारियों के लक्षण एक जैसे हो या फिर एक के लक्षण दूसरे से छिप जाते हों। एक जेरियाट्रिक स्पेशलिस्ट ऐसी परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ रहता है एवं इनको सुलझाने का उसे खास अनुभव भी होता है।

दूसरा मुख्य कारण यह है कि बुढ़ापे में बीमारियों के लक्षण युवावस्था से भिन्ना होते हैं। एक ही बीमारी बुजुर्गों और वयस्कों में अलग-अलग लक्षण प्रदर्शित करती हैं। कई गंभीर बीमारियाँ केवल बहुत साधारण लक्षण दिखाती हैं- जैसे कमजोरी लगना, ऊर्जा समाप्त हो जाना, संतुलन बिगड़ना, व्यवहार में बदलाव इत्यादि। एक जेरियाट्रिक स्पेशलिस्ट से इन लक्षणों की सही पहचान कर उनका इलाज करने का खास अनुभव होता है।

बढ़ती उम्र के साथ हमारी शारीरिक ताकत कम होती जाती है। इसी प्रकार हमारे प्रत्येक अवयव एवं प्रणालियों में बीमारियों से हुए नुकसान को भरने की क्षमता भी कम हो जाती है। अतः जो बीमारी युवा लोगों में कुछ स्थायी नुकसान नहीं पहुँचाती, वहीं वृद्धों के शरीर पर इसका गहरा और स्थायी असर हो सकता है। इसीलिए बीमारी की शुरुआत में उसे ठीक से पहचानकर उसका नियमित इलाज अत्यंत जरूरी है। वृद्धावस्था में संक्रमण से लड़ने की शक्ति भी कम हो जाती है। इस कारण संक्रमण के प्रमुख लक्षण जैसे बुखार कई बार बुजुर्गों में प्रकट नहीं होते हैं। अतः छुपी हुई बीमारियों को पहचानकर सामयिक इलाज अत्यंत आवश्यक है।

एक और प्रमुख विषय है
कई दवाइयों का एक उम्र के साथ प्रयोग। यह देखा गया है कि बढ़ती उम्र के साथ नियमित रूप से सेवन करने वाली दवाइयों की संख्या बढ़ती जाती है। जहाँ दवाइयाँ हमारे लिए अत्यंत लाभकारी हैं, वहीं इन सब से कई समस्याएँ भी खड़ी हो सकती हैं। बुजुर्गों को न्यूनतम जरूरी दवाइयों का सेवन करना चाहिए, इससे उनके स्वास्थ्य को अतिरितᆬ लाभ मिलता है।

फिर वृद्धावस्था में ऐसी कई बीमारियाँ होती हैं जिनका पूर्ण इलाज तो नहीं होता पर उनसे होने वाले लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे कि डिमेशिया गिरना, दौरा पड़ना और अस्थि क्षरण इत्यादि।

ऐसे कई कारण हैं जिनके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियों का इलाज एक जेरियाट्रिक स्पेशलिस्ट ज्यादा अच्छे तरीके से कर सकता है। इसकी तुलना हम इस बात से कर सकते हैं कि एक बच्चे को इलाज के लिए हम जनरल फिजिशियन के बजाय एक शिशु रोग विशेषज्ञ के पास ले जाते हैं। यह इसलिए करते हैं कि बच्चों में होने वाली बीमारियाँ तथा उनके इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाइयों की खुराक आदि वयस्कों से भिन्न होती हैं। इसी प्रकार वृद्धों-बुजुर्गों में होने वाली बीमारियों की पहचान एवं उनका इलाज एक जेरियाट्रिक स्पेशलिस्ट अच्छी तरह करने में सक्षम होता है।
(डॉ. अनीता अय्यर,सेहत,नई दुनिया,मार्च तृतीयांक 2011)।

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