शुक्रवार, 11 मार्च 2011

दिन की शुरुआत करें सूर्य नमस्कार से

दिन की अच्छी शुरुआत करने के लिए सूर्य नमस्कार सबसे अच्छा व्यायाम है। सूर्य नमस्कार एक प्राचीन उपासना है। यह भारत के सभी प्रांतों में प्रचलित है। सूर्य नमस्कार तन, मन और वाणी से की गई सूर्योपासना है। इसमें सूर्य किरणों से मिलने वाले विटामिन-डी की प्राप्ति होती है। सूर्य नमस्कार शरीर के सभी जोड़ों व मांसपेशियों को ढीला करने का तथा आंतरिक अंगों की मालिश करने का एक सरल एवं प्रभावशाली अभ्यास है। जिस प्रकार १२ राशियाँ, १२ महीने होते हैं, उसी प्रकार सूर्य नमस्कार भी १२ स्थितियों से मिलकर बना है। सूर्य नमस्कार के एक पूर्ण चक्र में १२ स्थितियों को क्रम से दोहराया जाता है तथा इन १२ स्थितियों के अनुसार १२ बीज मंत्र होते हैं तथा इन १२ स्थितियों के अलग-अलग लाभ होते हैं।

सूर्य नमस्कार के लाभ

-पेट की मांसपेशियाँ मजबूत हो जाती हैं उससे पाचन शक्ति बढ़ती है।
-शरीर के ज्यादा वजन को घटाने में मददगार।
-आलस्य को दूर भगाता है, दिमाग को ठंडा रखता है।
-शरीर में खून का प्रवाह तेज होने से ब्लड प्रेशर की बीमारी में आराम मिलता है।
-बालों को असमय सफेद होने, झड़ने व रूसी से बचाता है।
-व्यक्ति में धीरज रखने की क्षमता बढ़ती है।
सहनशीलता बढ़ाने और क्रोध पर काबू रखने में मददगार।
-शरीर में लचीलापन आता है, जिससे पीठ और पैरों के दर्द की आशंका कम होती है।
-प्राकृतिक रूप से विटामिन डी मिलता है जो हड्डियों को मजबूत करने और आँखों की रोशनी बढ़ाने में फायदेमंद है।
-त्वचा के रोग खत्म हो जाते हैं।

सावधानियाँ

-सूर्य नमस्कार सुबह शौच के बाद पूर्व दिशा में मुख करके ही करना चाहिए।
-सूर्य नमस्कार करते समय शरीर की प्रत्येक क्रिया को ध्यानपूर्वक व आराम से करना चाहिए।
-ज्ञान के अभाव में किसी योग विशेषज्ञों के निर्देशक के अनुसार ही करना चाहिए।
(डॉ. ए.के.जैन,सेहत,मार्च प्रथमांक 2011)।

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