गुरुवार, 11 नवंबर 2010

तनाव दे सकता है गर्भावस्था में अस्थाई डायबिटीज

गर्भवती महिलाओं में तनाव अस्थाई डायबिटीज का कारण हो सकता है जिसे डॉक्टर पोटेंशियल डायबिटीज कहते हैं, हालांकि प्रसव के बाद रक्त में शर्करा नियंत्रित हो जाती है। इसके बावजूद इन महिलाओं में 48 की उम्र के बाद डायबिटीज का खतरा 60फीसदी रहता है। ऐसा अधिकतर उन महिलाओं में देखा गया है,जिनके परिवार में पहले किसी को डायबिटीज रही हो। फोर्टिस अस्पताल की डॉ. मनप्रीत कोचर कहती हैं कि डायबिटीज को लेकर महिलाओं में अब भी भ्रांतियां हैं। जिन्हें पहले से मधुमेह नहीं हैं, उन महिलाओं में भी गर्भावस्था में तनाव अस्थाई डायबिटीज का कारण होता है। इसमें रक्त में शर्करा का स्तर तेजी से बदलता है। इन महिलाओं की डिलीवरी 10-15 दिन पहले करा दीजाती है। डायबिटीज के साथ गर्भावस्था में व्यायाम का अहम रोल है,जिसके साथ खतरे से बचा जा सकता है। यह बिल्कुल सही नहीं कि डायबिटिक मां से पैदा होने वाला बच्चा भी डायबिटिक ही होगा। डॉ. नलिनी महाजन (गाइनोकोलॉजिस्ट) कहती हैं कि प्रसव के बाद शर्करा नियंत्रित हो जाती है। इसका सबसे बड़ा असर यह होता है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। इन्हीं महिलाओं में 48 की उम्र के बाद एक बार डायबिटीज का खतरा 60फीसदी बढ़ सकता है। जो महिलाएं पहले से डायबिटिक हैं,उन्हें ओरल इंसुलिन की सलाह नहीं दी जाती। इंजेक्टेबल इंसुलिन की मात्रा भी बढ़ायी जाती है(हिंदुस्तान,दिल्ली,11.11.2010)।

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