छत्तीसगढ़ के 10 फीसदी लोग ऐसे हैं,जो जेनेटिक बीमारियों की चपेट में हैं। यह खुलासा हुआ है, राजधानी के मेडिकल कॉलेज की जेनेटिक लैब में हुए परीक्षणों से। ये परीक्षण इलाज के लिए आशा की किरण पैदा करते हैं। परीक्षणों की संख्या ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना डाला है।
मेडिकल कॉलेज की बायोकेमिस्ट्री लैब में पिछले पांच वर्षो में 4,68,877 परीक्षण किए गए हैं, जो एक विश्व रिकॉर्ड भी है। अभी संयुक्त राष्ट्र संघ के पास इस परीक्षण के मात्र डेढ़ लाख आंकड़े ही हैं। यह बात भी तब पता चली, जब बायोकेमिस्ट्री लैब के विभागाध्यक्ष प्रो. पीके पात्र ने पिछले वर्ष जून में न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में प्रजेंटेशन देने पहुंचे थे। मेडिकल कॉलेज में राजधानी के चिकित्सकों व रिसर्च स्कॉलर्स द्वारा लैब में 24 तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं। लैब के विस्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में यहां 24 घंटे काम हो रहा है। इस काम के लिए लैब में २क् कर्मचारी तैनात किए गए हैं।
इन परीक्षणों का पिछले पांच वर्षो में अंबेडकर हॉस्पिटल सहित प्रदेश के अन्य अस्पतालों के मरीजों को विशेष तौर से फायदा हो रहा है। अंबेडक र हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी भी मानते हैं कि अब आसानी से लोगों की बीमारियों का पता चल जाता है। इसके लिए मरीजों को बहुत दिनों तक हॉस्पिटल में एडमिट नहीं रहना पड़ रहा है।
जांच से आसान हुआ इलाज : राज्य की जनसंख्या के १क् फीसदी लोग सिकलसेल की समस्या से ग्रस्त हैं। कुछ साल पहले तक जानकारी के अभाव में लोगों को कई तरह की जेनेटिक बीमारियां अपने चपेट में ले रही थीं, लेकिन इस लैब की स्थापना के बाद मरीजों का प्रॉपर ट्रीटमेंट हो रहा है। कई तरह के शोध होने के बाद अब लाइलाज बीमारियों के लिए लैब में मेडिसिन बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। बायोकेमिस्ट्री लैब के एचओडी डॉ. पीके पात्रा ने बताया कि प्रदेशभर के स्कूलों में स्क्रीनिंग प्रोजेक्ट के तहत बच्चों के ब्लड की जांच की जा रही है।
शोध छात्रों के लिए महत्वपूर्ण :
लैब के साथ देश के अन्य मेडिकल एवं रिसर्च सेंटर्स का टाइअप भी है। इसमें सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मोलिक्यूलर बायोलॉजी, सीसीएमबी हैदराबाद और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी, आईसीजीईबी दिल्ली शामिल है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न की गतिविधियों की जानकारी से भी अवगत होने का अवसर मिलता है। शैक्षणिक गतिविधियों से रिसर्च स्कॉलर्स को भी विशेष लाभ मिल रहा है। इसके अंतर्गत प्रतिवर्ष 150 एमबीबीएस छात्रों के साथ ही 10 एमएससी मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी के छात्र रिसर्च वर्क करते हैं। इसके साथ ही विभिन्न विभाग के एमडी, पीएचडी, थिसिस वर्क, ट्रेनिंग प्रोग्राम आदि कार्य भी होते हैं।
वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया
वर्ष टैस्ट
2005 12422
2006 102378
2007 163623
2008 63161
2009 7293
कुल - 468877
जल्द यह सब भी होगा लैब में
साइटोजेनेटिक सुविधा
एमडी बायोकेमिस्ट्री, पीएचडी बायोकेमिस्ट्री एवं मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी
सिकलसेल के लिए प्रीनेटल एवं निओनेटल स्क्रीनिंग
स्टेमसेल थेरेपी रिसर्च वर्क(दैनिक भास्कर,रायपुर,2.8.2010)
सुखद जानकारी.
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