फर्जी डिग्री के सहारे चिकित्सा सेवा में जुटे झोलाछाप डॉक्टरों की नकेल कसने लगी है।स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने छापामारी करने के साथ ही मौत के इन सौदागरों के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सैकड़ों फर्जी डॉक्टरों को नोटिस दी गई है, जिससे झोला छाप डॉक्टरों में हड़कंप मच गया है। वाराणसी और आसपास के जिलों में सक्रिय झोला छाप डॉक्टरों को चिह्नित करते हुए 92 को नोटिस भेजी गई ,जबकि 8 के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। जौनपुर में सीएमओ डीके पटेरिया ने तत्परता दिखाते हुए 82 नीम हकीमों को नोटिस भेजा है और आठ के खिलाफ रविवार को प्राथमिकी भी दर्ज करवा दी। इनकी धरपकड़ के लिए पुलिस ने प्रयास तेज कर दिए हैं। सोनभद्र में सोमवार को म्योरपुर व चोपन क्षेत्र में डिप्टी सीएमओ के नेतृत्व में छापामारी का क्रम जारी था। यहां रविवार को ही पांच नीम हकीमों को अपने कागजात संग सीएमओ दफ्तर पहुंचने का आदेश दिया जा चुका है। बलिया में सभी स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को आदेश दिया गया है कि मंगलवार शाम पांच बजे तक अपने क्षेत्र के संदिग्ध डाक्टरों की रिपोर्ट मुख्यालय को प्रेषित कर दें। गाजीपुर में 150 झोलाछाप को चिह्नित करते हुए पांच को नोटिस थमाई गई है, जबकि वाराणसी में भी सीएमओ ने दो दिनों के भीतर संदिग्ध डॉक्टरों की सूची तलब की है। चंदौली में बीते वर्षो में 153 नीम हकीमों को चिह्नित करते हुए 49 के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज तो कराई गई थी, लेकिन उसके बाद महकमा सो गया। जागरण के अभियान के बाद अब चंदौली का स्वास्थ्य महकमा उन पुराने केसों की फिर से पड़ताल कराने जा रहा है। गोरखपुर में भोले-भाले लोगों की बीमारी बिगाड़ कर उनकी जान से खेलने वाले झोला-छाप डॉक्टर अब खुद मुश्किल में पड़ गए हैं। अब तक इस अंचल में कुल तीन डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। अपर निदेशक स्वास्थ्य ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी जिलों में सीएमओ व डीपीओ को ऐसे डाक्टरों की सूची जल्द से जल्द तैयार करने के आदेश दिए हैं। पिछले हफ्ते एसओजी ने गोरखपुर शहर के कोतवाली क्षेत्र के हट्ठी माई रोड स्थित एक क्लीनिक पर छापा मार कर कंपाउंडर को गिरफ्तार किया था। हालांकि झोला छाप डॉक्टर फरार हो गया। अभी मामला गर्म ही था कि दो दिन पहले स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की संयुक्त टीम ने गोरखपुर शहर के शास्त्री चौक स्थित एक होटल में छापा मारकर एक झोला छाप डॉक्टर को गिरफ्तार किया। छापे के समय वहां कई मरीज बैठे मिले। जांच में पता चला कि डॉक्टर देवकी नन्दन तिवारी उर्फ देवकी नंदन शर्मा राजस्थान का निवासी है। इलाहाबाद की एक संस्था से उसने वैद्य विशारद की डिग्री ले रखी है। प्रैक्टिस करने के लिए बिहार के पटना यूनानी मेडिकल काउंसिल से पंजीकरण कराया है। डॉक्टर खुद को वैद्य बता रहे हैं,जबकि एलोपैथी दवाएं दे रहे हैं। इससे पूर्व महराजगंज जिले में ऐसे ही एक डॉक्टर पर कार्रवाई हो चुकी है। यहां डॉक्टर ने पिछले दिनों एक महिला की पेट में गंभीर बीमारी बताकर आपरेशन कर डाला। महिला की मौत हो गई जिसके बाद डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। झोला छाप डॉक्टरों के साथ ही गलत तरीके से पैथालॉजी व डाइग्नोस्टिक सेंटर चलाने वालों पर स्वास्थ्य विभाग की नजर है। पिछले दिनों महराजगंज के सिसवा बाजार अपर निदेशक स्वास्थ्य से ऐसी ही तीन पैथालॉजी व डाइग्नोस्टिक सेंटरों को पकड़ा। हालांकि सूचना मिलने के बाद तीनों के संचालक सेंटर बंद कर फरार हो गए। इसी बीच गोरखपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग ने अब तक 68 झोला छाप डॉक्टरों को चिह्नित कर उनकी सूची तैयार कर ली है। दूसरे जिलों में भी कार्रवाई जारी है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,6.7.2010)।
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