गुरुवार, 25 मार्च 2010

सरकारी अस्पतालों में जांच महंगी होने के आसार

खबर है कि केंद्र सरकार के अस्पतालों में जांच का जिम्मा निजी क्षेत्र को सौंपने की तैयारी चल रही है। यही नहीं,लांड्री, सुरक्षा, भोजन व सफाई सेवाओं की आउटसोर्सिंग भी होगी।पढिए स्वास्थ्य विषय पर असाधारण पत्रिका कर रहे धनंजय जी की यह रिपोर्ट नई दुनिया,दिल्ली संस्करण, 24 मार्च के अंक से- "हो सकता है आने वाले दिनों अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) सहित केंद्र सरकार के अन्य अस्पतालों में एक्स रे, सीटी स्कैन, एमआरआई सहित अन्य अत्याधुनिक उपकरणों की प्रयोगशाला सेवाएं निजी क्षेत्र के हवाले कर दी जाए। केंद्र सरकार ने अंतिम रूप से यह मन बना लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने इसका स्पष्ट संकेत दिया है। एम्स के कामकाज को सुधारने के लिए गठित वैलियाथन कमिटी ने भी परोक्ष रूप से निजीकरण के रास्ते पर चलने की ही सलाह दी है। सरकार के इस कदम के भारी विरोध के आसार हैं। जांच सेवाओं की आउटसोर्सिंग के साथ साथ लांड्री, सुरक्षा, भोजन, सफाई जैसी सेवाओं को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। केंद्र सरकार की इसी योजना के तहत रेलवे की जमीनों पर बनने वाले जांच केंद्रों व अस्पतालों के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने निजी क्षेत्र को भागीदारी का खुला निमंत्रण दिया है। पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्रालय और रेलवे के इस बाबत एक करार हुआ है । प्लानिंग कमीशन के एक कार्यक्रम में मंगलवार गुलाम नबी आजाद ने जिस तरह स्वास्थ्य में निजी क्षेत्र की भूमिका को महिमामंडित किया उससे भी सरकारी क्षेत्र में निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी का संकेत मिलता है । उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में यूपीए सरकार के भारी निवेश के बावजूद निजी क्षेत्र की भागीदारी के बिना काम नहीं चलने वाला। उन्होंने कहा है कि हम निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी के कई मॉडलों पर विचार कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की कई खरााबियों को नियंत्रित करने की जरुरत होगी, नहीं तो मरीजों का भारी दोहन भी हो सकता है। हाल ही में हमने संसद में क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट बिल पेश किया है । इसके प्रभावी होते ही वह दायरा तय हो जाएगा जिसके भीतर निजी क्षेत्र सरकारी क्षेत्र के साथ जबावदेह ढंग से काम करेंगे। आजाद ने स्वीकार किया कि निजी क्षेत्र में इलाज से कई घर बरबाद हो रहे हैं । हर साल इलाज के खर्च की वजह से ३ करो़ड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जा रहे हैं।"

1 टिप्पणी:

  1. चिंतनीय.............
    ......
    .....
    यह पोस्ट केवल सफल ब्लॉगर ही पढ़ें...नए ब्लॉगर को यह धरोहर बाद में काम आएगा...
    http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_25.html
    लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....

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