विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग दो करोड़ दस लाख लोग मधुमेह की बीमारी से पीडि़त हैं। संगठन का यह भी अनुमान है कि वर्ष 2020में भारत का हर पांचवां व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त होगा। जम्मू-कश्मीर राज्य में भी मधुमेह की बीमारी महामारी का रूप लेती जा रही है। इसके बचाव व नियंत्रण के लिए वैसे तो कई उपाय हैं, लेकिन एक आयुर्वेदिक पौधा ऐसा है जो इस खतरनाक बीमारी से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है। इस आयुर्वेदिक पौधे का नाम है स्टीविया। सर्वे के अनुसार डायबिटीज के मरीजों के लिए मीठा खाना जहर नहीं बनेगा बशर्ते वह मीठा खाने के तुरंत बाद आयुर्वेदिक पौधे स्टीविया की कुछ पत्तियों को चबा लें। गन्ने से तीन सौ गुणा अधिक मीठा होने के बावजूद स्टीविया पौधे फैट व शुगर से फ्री है। इतना अधिक मीठा होने के बावजूद यह शुगर को कम तो करता ही है साथ ही इसे रोकने में भी सहायक है। खाना खाने से बीस मिनट पहले स्टीविया की पत्तियों का सेवन अत्यधिक फायदेमंद होता है। अद्भुत गुणों का संगम आयुर्वेदिक पौधा घर में भी लगाया जा सकता है। एक बार लगाया गया पौधा पांच वर्ष तक प्रयोग में लाया जा सकता है। पौधे के गुणों को देखते हुए कई आयुर्वेदिक कंपनियों ने इससे संबंधित उत्पाद तैयार करना शुरू कर दिए हैं। पिछले पंद्रह सौ वर्षो से स्टीविया का स्वीटनर और मेडिसिनल के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। 1920 में स्टीविया को जापान ने शुगर के प्रमुख अल्टरनेटिव के रूप में शुरू किया था। स्टीविया के सुरक्षित प्रयोग का न केवल लंबा इतिहास है बल्कि इस पर लगभग 150 स्टडीज हो चुकी हैं। विश्व के लगभग 20देशों की सरकारें इसे मान्यता भी दे चुकी हैं। डोना गेट्स की स्टीविया कुक बुक के सह लेखक डाक्टर रे शाहलीयन (एमडी) ने स्टीविया को शुगर का अद्भुत अल्टरनेटिव होने के अलावा शुगर के मरीजों के लिए एकमात्र ऐसा आर्टिफिशियल स्वीटनर बताया है। स्टीविया पैंक्रियाज से इंसुलिन को रिलीज करने में अहम भूमिका निभाता है। डिपार्टमेंट आफ एंडोक्रिनोलाजी एंड मेटाबालिज्म आर्थोस यूनिवर्सिटी हास्पिटल डेनमार्क,आयुर्वेद फार टोटल हेल्थ के संपादक डाक्टर अनूप गक्खड़ अनुसार स्टीविया एक हर्बल प्लांट है। यह शुगर के मरीजों के लिए वरदान है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार स्टीविया न केवल शुगर बल्कि ब्लड प्रेशर, हाईपरटेंशन, दांतों, वजन कम करने, गैस, पेट की जलन, दिल की बीमारी, चमड़ी रोग और चेहरे की झुर्रियों की बीमारी में भी कामगर है।
(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,28.1.10)
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