गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

मुंहासे की क्रीम से सावधान रहें गर्भवती महिलाएं

गर्भधारण करने की योजना बना रही या गर्भवती अथवा स्तनपान कराने वाली महिलाएं मुंहासों से निजात दिलाने वाली क्रीम चेहरे पर लगाना तो दूर उंगली से भी न छुएं क्योंकि इसका उनका गर्भस्थ शिशु हमेशा के लिए न सिर्फ पंगु हो सकता है, बल्कि उसके दिल में छेद तक होने का खतरा पैदा हो सकता है। 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्त्री रोग विभाग की पूर्व प्रमुख डाक्टर कमल बख्शी तथा फिनिक्स अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ शिवानी सचदेव समेत अनेक स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना है कि मुंहासों की क्रीम कैमिस्टों के पास खुले आम काउन्टर पर नहीं, बल्कि डाक्टर की सलाह पर ही पर्ची दिखा कर ही मिलनी चाहिए। 

सचदेव का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान अकसर उन महिलाओं को भी मुंहासे निकल आते हैं जिन्हें इसके पहले कभी नहीं निकले हों। इसलिए महिलाएं बिना सोचे समझे सीधे कैमिस्ट की सलाह से या विज्ञापनों पर भरोसा कर मुंहासों की क्रीम लगाना शुरू देती हैं। उन्होंने कहा कि न सिर्फ गर्भवती या स्‍तनपान कराने वाली, बल्कि गर्भधारण की योजना बना रही महिलाओं तक को मुंहासे से छुटकारा दिलाने वाली क्रीमें चेहरे पर ही नहीं लगानी चाहिए बल्कि उंगली से भी नहीं छूनी चाहिए। 

डाक्टर सचदेव ने बताया कि दरअसल मुंहासों से छुटकारा दिलाने वाली क्रीमों में एजेलेक एसिड एडेपलेन, ट्रेटिनोइन, सोडियम सल्फासेटेमाइड, किलनडामाइसिन एरथ्रोमाइसिन, सेलीसाइलिक एसिड, हाइड्रोकाटिजोन तथा बेंजोइल पेरौक्साइड जैसे तत्व होते हैं। जिनके रक्त में पहुंचने के बाद इनसे गर्भस्थ शिशु के हाथ पैर सामान्य से छोटे होना, दिल में छेद, मानसिक रूप से विक्षिप्त, होंठ या तालु कटे होना, आंखों व कानों में दोष तथा मूत्राशय से संबंधित दोष हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि खासतौर पर ऐसी क्रीम जिसमें ट्रेटिनोइन तत्व मौजूद हो, उसे गर्भवती या स्तन पान कराने वाली महिलाएं या फिर गर्भधारण करने की योजना बनाने वाली महिलाएं इसलिए नहीं छुएं क्योंकि क्रीम लगाने के बाद उसके तत्व त्वचा के भीतर पहुंच कर रक्त में शामिल हो जाते हैं और फिर प्लेसेंटा के माध्यम से गर्भसथ शिशु के रक्त में पहुंच जाते हैं। 

डाक्टर बख्शी ने कहा कि कई क्रीमें गर्भावस्था के प्रारंभिक दौर में इस्तेमाल करना घातक नहीं होता लेकिन ट्रेटिनोइन तत्व मौजूद होने वाली क्रीम लगाने से शिशु में जन्मजात विकृतियां पैदा हो जाने का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि सोडियम सल्फासेटेमाइड युक्त क्रीम भी गर्भावस्था के दूसरे महीने के बाद इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि मुंहासों की क्रीमों में विश्वस्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित 'सी' तथा 'एक्स' श्रेणी की दवाएं होती हैं। जिनसे गर्भस्थ शिशु में विकृतियां पैदा हो सकती हैं। जबकि कुछ का मानना है कि इनके नियमित इस्तेमाल से गर्भपात तक होने की आशंका होती है। अमेरिका में कई ऐसे अध्ययन किए जा चुके हैं जिनसे पता चलता है कि मुंहासे दूर करने क्रीम बिना डाक्टर की सलाह के तो कभी नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि इनके तत्व रक्त में पहुंचते हैं और गर्भस्थ शिशु के लिए खतरा बन सकते हैं। 

डाक्टर शिवानी ने कहा कि मुंहासों की जिन क्रीमों में ट्रेटिनोइन हो उसे तो गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान के अलावा गर्भधारन करने की योजना बनाने के दौरान भी नहीं प्रयोग में लाना चाहिए। क्योंकि इस्तेमाल बंद कर देने के बाद भी इसका असर कम से कम एक माह तक रहता है। अमेरिकन एसोसिएशन आफ फिजीशियन्स का कहना है डाक्टरों को किसी भी महिला को मुंहासों की क्रीम लगाने की सलाह देने से पहले उनकी उम्र का ध्यान अवश्य करना चाहिए तथा गर्भधारण करने वाली उम्र (चाइल्ड बियरिंग एज) की महिलाओं को तो खासतौर पर ये क्रीम लगाने की सलाह नहीं देनी चाहिए। इसके अलावा जिस दौरान महिलाओं को ये क्रीमें लगाने की सलाह दी जाती है उस दौरान उन्हें कडा़ई से गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल करने की भी सलाह देनी चाहिए(हिंदुस्तान,दिल्ली,क्रिसमस-2012)।

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