विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में दमे के रोगियों की संख्या 1.5 से 2 करोड़ के बीच है, जिनमें एक अनुमान के अनुसार 10 से 15 प्रतिशत 5 से 11 वर्ष तक के बच्चों हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके शरीर की रोधक प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती। फुलझड़ी और अनार जैसी आतिशबाजी में कॉपर, कैडमियम, लैड, मैंग्नीज़, ज़िंक, सोडियम और पोटाशियम जैसे तत्व होते हैं। दमे के जिन रोगियों के एयरवेज हाइपरएक्टिव होते हैं, इन प्रदूषण तत्वों से ब्रांकियल मकोसा को तकलीफ होती है और श्वास प्रणाली में सूजन आ जाती है।
होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. बख्शी के अनुसार, ‘सर्दी और जुकाम की तकलीफ को ठीक से काबू न किए जाने पर टॉन्सिलाइटिस, साइनसाटिस, एलजिर्क रिनाइटिस, नैज़ल पॉलिप की समस्याएं सिर उठाती हैं और तेज दवाओं से इन्हें दबाने पर दमे की गंभीर समस्या आ घेरती है।’
दमे की समस्या एलर्जी के कारण उठती है और उसकी प्रमुख वजह एंडोजेनिक होती है और अधिकांश मामलों में यह आनुवांशिक चलती है। अक्सर यह समस्या रोगी के शरीर में कहीं छुपी रहती है और विशेष हालात में व्यक्ति के रोधक तंत्र के कमजोर होने की स्थिति में मुंह उठा देती है। ऐसे हालात सजर्री, इनफेक्शन, गर्भावस्था या वृद्धावस्था में बनते हैं।
दीपावली पर जो घातक गैसें पर्यावरण को दूषित करती हैं, उनमें ऐसे घातक तत्व होते हैं। शोध के अनुसार दशहरे से नववर्ष तक का समय दमा रोगियों के लिए कठिन होता है। संकरे इलाकों में रहने वाले दमा रोगियों को इन दिनों विशेष तौर पर तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
दमे का उपचार: होम्योपैथी विधि में विशेष तौर पर बनाई गई दवाओं की मदद से शरीर के उपचार तंत्र को सहयोग मिलता है। दमे का इलाज होम्योपैथी में संभव है, लेकिन इसके लिए उन कारकों का बहुत गहराई से अध्ययन करना पड़ता है जिनके कारण दमे का दौरा पड़ा था, और उन कारणों का भी जिनसे दमा पीड़ित की हालत गंभीर या उसमें सुधार आता है। अनुभवी होम्योपैथ से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए। प्रत्येक रोगी को दमे की दवा का अलग अनुभव होता है।
दवाएं: एरेलिया 200 - रात्रि में होने वाले दमा के अटैक के लिए आर्सेनिक एलबम 200 - सर्दी के मौसम में उठने वाली दमा समस्या के लिए पोथोस 30 - सांस के जरिए धूल अंदर जाने से होने वाली तकलीफ के लिए खुराक : गोली - दिन में दो सिरप : दिन में दो बार आधा कप पानी में एक चम्मच दमे का इलाज कराने वालों को कुछ समय तक के लिए इन्हेलरों, स्टीरॉयड और ब्रॉन्कोडिलेटर्स दूर रहना चाहिए।
सावधानियां: सरकार भी प्रदूषण कम करने की पहल कर रही है, लेकिन त्योहार के समय आतिशबाजी को रोक पाना संभव नहीं होता। इसलिए बेहतर होगा कि सावधानी बरती जाए। इसके लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं -
- अधिक प्रदूषण वाले इलाकों से दूर रहें। - खाना हल्का और जल्दी खाएं। ठंड से बचें। - भावनात्मक तनाव से दूर रहने का प्रयास करें। - इसके अतिरिक्त ठंडे पेय, अचार, टमाटर सूप, सॉस/कैचप न लें। संतरा, नींबू, अंगूर, अरबी, भिंडी, चावल, उड़द दाल, बर्गर और पिज्जा आदि न लें।
(हिंदुस्तान,दिल्ली,2.11.2010)
अच्छी जानकरी दी...
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
जवाब देंहटाएंसावधानी रखनी चाहिए ।
जवाब देंहटाएंदीवाली की हार्दिक शुभकामनायें राधारमण जी ।
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को दीपावली पर्व की ढेरों मंगलकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंएक सावधान करने वाली पोस्ट!!
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