गुरुवार, 31 मई 2012

अल्सर का अचूक इलाज़ है नाड़ीशोधन

अल्सर पाचन प्रणाली से जुड़ी हुई बीमारी है। इसमें पेट, खाने की नली या डय़ूडिनन में घाव या जख्म हो जाता है। आमाशय में लंबे समय तक जलन बनी रहने या अति अम्लीयता के कारण यह होता है। यौगिक क्रियाओं में इसके अचूक इलाज हैं। 

अल्सर एक मनोकायिक रोग है जिसमें बीमारी मन से होकर शरीर तक पहुंचती है। महत्वाकांक्षा, निराशा, कुंठा, असफलता, मानसिक द्वंद्व, भावनात्मक तनाव, उत्तेजना एवं भोजन की गलत आदतें इस रोग के प्रमुख कारण हैं। गरिष्ठ मसालेदार भोजन, शराब, धूम्रपान आदि से स्थिति और बिगड़ जाती है। रोग की गंभीर स्थिति में डॉक्टरी इलाज अनिवार्य हो जाता है। यदि चिकित्सा के साथ योगाभ्यास जोड़ दिया जाए तो समस्या का स्थायी समाधान हो जाता है। इसके लिए कुछ यौगिक क्रियाओं को अपनाना बहुत जरूरी है। 

आसन 
गंभीर स्थिति में रोगी को पूर्ण आराम लेना चाहिए। इस स्थिति में मानसिक दबाव से मुक्त होकर थोड़ा घूमना-फिरना चाहिए। दर्द बंद होने के एक सप्ताह बाद सूक्ष्म व्यायाम एवं पवनमुक्तासन का अभ्यास प्रारंभ करना चाहिए। इसके अभ्यास के दो-तीन सप्ताह बाद क्षमतानुसार शशांकासन, वज्रासन, मत्स्यासन, जानु शिरासन तथा सूर्य नमस्कार के चक्रों का अभ्यास करना चाहिए। 

सरल मर्कटासन की अभ्यास विधि 
पीठ के बल जमीन पर लेट जाइए। दोनों पैरों को घुटने से मोड़कर घुटने को ऊपर की ओर रखें तथा पैर की एड़ियां नितम्ब की ओर रखें। दोनों हाथों को कंधों की ऊंचाई तक उठाकर सीधा जमीन पर रखें। अब दोनों पैरों के घुटनों को दायीं तरफ जमीन पर ले जाइए। इस समय सिर बायीं तरफ जमीन पर जाना चाहिए। इसके पश्चात् वापस पूर्व स्थिति में आकर घुटने बायीं तरफ तथा सिर दायीं तरफ ले जाएं। यह मर्कटासन की एक आवृत्ति है। इसकी 5 से 7 आवृत्तियों का अभ्यास करें। 

प्राणायाम 
अल्सर की गंभीर स्थिति में बिना कोई जोर लगाए इच्छानुसार ओम एवं भ्रामरी की आवृत्तियों का अभ्यास करें। आराम मिलने की स्थिति में चंद्रभेदी, शीतली, शीतकारी एवं नाड़ीशोधन प्राणायाम का बिना अनावश्यक जोर लगाए अभ्यास करें। इसके लिए नाड़ीशोधन सर्वोत्तम प्राणायाम है। 

नाड़ीशोधन की अभ्यास विधि 
पद्मासन, सिंहासन या सुखासन या कुर्सी पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। दाएं हाथ के अंगूठे को दायीं नाक तथा तीसरी अंगुली को बायीं नाक पर रखें। अब दायीं नासिका को बंद कर बायीं नासिका से एक गहरी तथा धीमी श्वास अंदर लें। इसके बाद बायीं नासिका को बंद कर दायीं नासिका से एक गहरी तथा धीमी श्वास बाहर निकालें। दायीं नासिका से ही एक गहरी तथा धीमी श्वास अंदर लेकर बायीं नासिका से एक गहरी तथा धीमी श्वास बाहर निकालें। यह नाड़ीशोधन प्राणायाम की एक आवृत्ति है। प्रारम्भ में इसकी 7 आवृत्ति करें तथा धीरे-धीरे 30 आवृत्तियों तक अभ्यास करें। 

जीवनशैली 
यह रोग उन लोगों को होने की आशंका अधिक होती है जिनके अंदर हमेशा आगे बढ़ने, तरक्की करने की बेचैनी रहती है। इसलिए इस समस्या से ग्रस्त लोगों को दिन में एक घंटा कर्मयोग या सेवा में देना चाहिए। इससे मानसिक ऊर्जा मुक्त होती है, शिथिलीकरण होता है तथा सृजनशीलता बढ़ती है। साथ में, प्रतिदिन 10-15 मिनट तक ध्यान या शिथिलीकरण का अभ्यास अवश्य करें। अल्सर को दूर भगाने के लिए ध्यान सर्वोत्तम है। 

भोजन 
प्रारम्भ में केवल फल और दूध का आहार लेना चाहिए, ताकि घाव जल्दी भरे। उबली हुई सब्जियों का सूप, खिचड़ी, दलिया तथा सादे फल भी लिए जा सकते हैं। पालक एवं बाथू का सूप दिन में दो बार लें। तले-भुने, मिर्च-मसालेदार, गरिष्ठ भोजन, सिगरेट, शराब तथा नशीली चीजों से परहेज करें। खाने-पीने का समय भी सुधारें(कौशल कुमार,हिंदुस्तान,दिल्ली,30.5.12)। नोटःमर्कटासन का अधिक ब्यौरा इस लिंक पर है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. ज्ञानवर्धक उपयोगी प्रस्तुति...
    सादर आभार।

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  2. अच्छी जानकारी .
    अल्सर का पूरा इलाज कराना चाहिए .

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  3. ज्ञानवर्धक पोस्ट । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  4. माँ को अल्सर था जब मै छोटी थी !
    बारह साल तक सिर्फ दूध चावल खाती रही ......
    मुझसे बेहतर कौन जान सकता है अल्सर के बारे में,
    अच्छी जानकारी आभार !

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