सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

घरेलू इलाज ही काफी नहीं

किसी बीमारी का घरेलू उपचार प्रारम्भिक स्थिति तक तो हो सकता है, लेकिन बीमारी नियंत्रित नहीं हो रही हो तो डॉक्टर से जरूर मिलें। 

दादी-नानी के नुस्खे कारगर सिद्ध हो सकते हैं। इन नुस्खों को इस्तेमाल करके हम छोटी-मोटी परेशानियों से राहत भी पा सकते हैं। यह बात सही भी है, परंतु यदि रोग गंभीर हो और उसका सही समय पर उचित तरीके से इलाज न हो तो वह बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। इसलिए हर बीमारी का घरेलू उपचार करने की कोशिश करना उचित नहीं होता। अगर आप ऐसा प्रयास करते हैं तो कई जटिलताएं सामने आ सकती हैं, जिससे उसका इलाज और मुश्किल हो सकता है। कई बार तो एक बीमारी की लापरवाही की वजह से कई और बीमारियां आसपास मंडराने लगती हैं। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पूर्व डॉक्टर बी.एम. सिंघल कई ऐसी बीमारियों के बारे में बता रहे हैं, जिनका प्रारम्भिक इलाज तो घर पर कर सकते हैं, पर एक जरूरत के अनुसार उचित समय पर अस्पताल जाने से भी नहीं हिचकना चाहिए। 

ब्रोंकाइटिस 
खांसी-जुकाम होना सर्दियों में आम बात है और थोड़ा ध्यान रखने से ये स्वत: ठीक भी हो जाते हैं। मगर जब ये बढ़ जाते हैं तो मरीज को ठंड के साथ बुखार आने लगता है और मांसपेशियों में दर्द भी होने लगता है। नाक या गला बंद हो तो ये ब्रोंकाइटिस के लक्षण होते हैं। इसमें फेफड़ों में हवा जाने के मार्ग में सूजन आ जाती है। इस अवस्था के आने से पहले अगर डॉक्टर से परामर्श करके सही दवा खा ली जाए तो ऐसी अवस्था से बचा जा सकता है। 

टी.बी. 
जब मौसम बदलता है तो अक्सर खांसी हो जाती है। मगर हमें ख्याल रखना चाहिए कि घरेलू इलाज कराने के बावजूद अगर खांसी को दो सप्ताह से अधिक हो जाएं और खांसते हुए कफ के साथ खून भी आ रहा है तो उसका इलाज घर में करते रहना बिल्कुल भी ठीक नहीं। शाम के वक्त बुखार आना, वजन अचानक काफी कम हो जाना टी.बी. के लक्षण हो सकते हैं। इसके लिए हमें पूरी जांच करवानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह से नियमित दवा लेनी चाहिए, नहीं तो रोग जानलेवा भी हो सकता है। 

गैस्ट्रोएन्टाइरिटिस (पेट में दर्द व बुखार) 
उल्टी और दस्त की शिकायत अक्सर प्रदूषित पानी व भोजन से हो जाती है, जिसे थोड़ा ध्यान रखने से ठीक भी किया जा सकता है। मगर जब यह सिलसिला लंबा खिंच जाए तो इससे डिहाइड्रेशन यानी पानी व लवण की कमी हो जाती है। इस रोग में प्यास बहुत लगती है। इसमें आपका रक्तचाप भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी की जान भी जा सकती है। इसलिए तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर से मिलना जरूरी है और जरूरत पड़ने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती भी करवाना पड़ सकता है। 

खसरा 
जब खांसी व बुखार के साथ शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं तो अक्सर लोग कहते हैं कि माता निकल आयी है और इसमें अधिकतर लोग घरेलू टोटके आजमाते हैं और डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं। कई बार इससे रोग बढ़ जाता है और बच्चों में यह ब्रोंको निमोनिया का रूप धारण कर लेता है, जिससे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। सीने में जकड़न और फेफड़ों में सूजन आ जाती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए प्रारम्भिक स्थिति में ही जांच कराएं। 

मधुमेह 
यह बीमारी आधुनिक दिनचर्या व तौर-तरीकों की देन है। बहुत-से रोगियों को इस बीमारी का पता बहुत देर बाद लगता है। इस वजह से उनके शरीर को काफी क्षति पहुंचती रहती है और उन्हें पता भी नहीं चलता। बहुत-से लोग पता चलने पर सोचते हैं कि बस मीठा खाना बंद कर दें तो मधुमेह पर नियंत्रण हो जाएगा। कुछ लोग नीम, करेला, मेथी आदि प्रयोग करके सोचते हैं कि बस अब रोग नियंत्रण में है। मगर इसकी नियमित जांच करानी बहुत जरूरी है। अगर शुगर कंट्रोल में नहीं है तो यह हमारे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाती है, जिससे आंखों का पर्दा भी खराब हो जाता है। इस बीमारी को रेटीनोपैथी कहते हैं। हम सही डॉक्टरी सलाह से नियमित रक्त व पेशाब की जांच करवाएं और सही दवा वक्त पर खाएं तो मधुमेह पर नियंत्रण रखा जा सकता है(विभा मित्तल,हिन्दुस्तान,दिल्ली,२३.२.१२)।

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