बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

स्किन पिग्मेंटेशन: देखिए, चेहरा मुरझा तो नहीं रहा

चेहरे की त्वचा पर काले या गहरे रंग के धब्बे आ जाएं तो वह परेशानी का सबब बन जाते हैं। खासकर लड़कियों के लिए तो यह समस्या बेहद तकलीफदेह हो जाती है, क्योंकि ये उनकी खूबसूरती में कमी करने के कारण उनके आत्मविश्वास पर भी असर डालते हैं। विशेषकर सूरज की हानिकारक किरणों की वजह से पैदा होने वाली इस समस्या का नाम है पिग्मेंटेशन। 

उम्र बढ़ने के साथ खासकर चेहरे की त्वचा अपना आकर्षण खोने लगती है। छुर्रियां, झाईयां और दाग-धब्बे त्वचा की प्रमुख समस्याएं हैं जो बढ़ती उम्र के साथ नजर आने लगती हैं। इस समस्या का संबंध सिर्फ उम्र से नहीं है बल्कि कुपोषण, हार्मोन परिवर्तन, तनाव और सूरज की हानिकारक किरणों से भी है, जिसके कारण युवावस्था में ही चेहरे की चमक खो जाती है। पिग्मेंटेशन (त्वचा पर काले या गहरे रंग के धब्बे) ऐसी ही समस्या है जो त्वचा की गंभीर समस्या बनती जा रही है। 

स्किन पिग्मेंटेशन 
मायोम हॉस्पिटल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. बी.एस. कटारिया कहते हैं, ‘स्किन पिग्मेंटेशन का सबसे प्रमुख कारण सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणें हैं। यह पिग्मेंटेशन त्वचा की रंगत एक समान न रहना, ऊपरी होठों का रंग गहरा हो जाना, चेहरे, हाथों, पैरों, छाती या शरीर के अन्य अंगों पर काले या गहरे भूरे रंग के धब्बों के रूप में नजर आता है। दरअसल, हमारी त्वचा का रंग मेलनिन नामक पदार्थ द्वारा निर्धारित होता है। सूरज की रोशनी विशेषकर अल्ट्रा वायलेट किरणों के कारण त्वचा में मेलनिन का निर्माण कम होने लगता है। हार्मोन असंतुलन विशेषकर महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान या गर्भ निरोधक गोलियों के सेवन और तनाव के कारण भी अक्सर पिग्मेंटेशन की समस्या हो जाती है। कई लोगों में शरीर के कई हिस्सों में मेलनिन की मात्र अत्यंत कम होने या बिल्कुल खत्म होने की वजह से सफेद धब्बे पड़ जाते हैं या पूरा शरीर या अंग सफेद हो जाते हैं। इसे ल्यूकोडर्मा, जिसे हम आम बोल की भाषा में सफेद दाग कहते हैं, भी हो सकता है।’ 

मिथक और सच्चाइयां 
स्किन पिग्मेंटेशन से जुड़े कई मिथक हैं, लेकिन उनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं हैं। ऐसे कुछ मिथक और सच्चइयों के बारे में भी जान लेते हैं। 

मिथक: जिस भोजन में विटामिन सी अधिक मात्र में होता है, के अधिक सेवन से या दही और मछली को एक साथ खाने से सफेद दाग होते हैं? 
सच्चाई: इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सफेद दाग की बीमारी में भोजन की कोई भूमिका नहीं है। ना ही खानपान को नियंत्रित कर इस बीमारी का उपचार किया जा सकता है। 

मिथक: सनस्क्रीन का इस्तेमाल केवल उन्हीं लोगों को करना चाहिए जो लंबे समय तक सूर्य की रोशनी में रहते हैं। गृहिणियों को इसकी जरूरत नहीं होती क्योंकि वे घर के अंदर रहती हैं। 
सच्चाई: आज सनस्क्रीन की जरूरत सबको है चाहे वह किसी भी उम्र के हों या कहीं भी काम करते हों। प्रदूषण के बढ़ने और ओजोन परत के नष्ट होने से धरती पर अल्ट्रा वायलेट किरणें अधिक मात्र में पहुंच रही हैं। इसी कारण सूरज की तेज किरणों से होने वाली त्वचा की समस्याएं इतनी बढ़ रही हैं। इसलिए सूरज की चमचमाती किरणों से अपनी नाजुक त्वचा को बचाने के लिए सनस्क्रीन लगाएं और शरीर को अच्छी तरह से ढककर घर से बाहर निकलें। 

मिथक: सफेद दाग का कोई इलाज नहीं है? 
सच्चाई: आज कई उपचार उपलब्ध हैं। अगर मरीज गंभीरतापूर्वक लगातार पूरा इलाज करवाए तो ये दाग पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। सफेद दाग में शरीर के कुछ हिस्सों की त्वचा में मेलनिन की मात्र कम हो जाती है और उन हिस्सों में फिर से पिग्मेंटेशन होने में वक्त लगता है। इसलिए इसके लंबे चलने वाले इलाज में धैर्य रखना जरूरी है। बार-बार इलाज बदलने या बीच में रोक देने से उपचार संभव नहीं है। 

मिथक: अगर माता-पिता को सफेद दाग हैं तो बच्चों को भी जरूर होंगे? 
सच्चाई: सिर्फ एक-तिहाई मामलों में ही देखा गया है कि सफेद दाग आनुवांशिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं। इसके बारे में कई थ्योरियां प्रचलित हैं लेकिन इसका वास्तविक कारण पता नहीं है। 

मिथक: काले या गहरे रंग के धब्बे, विशेष रूप से चेहरे पर होने वाला मेलास्मा लाइलाज है? 
सच्चाई: मेलास्मा का उपचार बहुत धीरे-धीरे होता है, लेकिन यह पूरी तरह लाइलाज नहीं है। हार्मोन परिवर्तन और तनाव के कारण चेहरे पर जो गहरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं उन का इलाज बहुत मुश्किल है। लेकिन अल्ट्रा वाइलेट किरणों के कारण होने वाले धब्बों का उपचार लगातार इलाज या लेजर तकनीक से पूरी तरह संभव है। 

मिथक: गहरे रंग के धब्बों का इलाज बहुत लंबा, महंगा और लगभग प्रभावहीन है। 
सच्चाई: अलग-अलग लोगों में उनकी कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से उपचार में अधिक समय लग सकता है। इसके उपचार में कई पद्धतियां जैसे कैमिकल पील और लेजर आदि शामिल हैं। यह बात सही है कि यह उपचार थोड़े महंगे हैं(शमीम खान,हिंदुस्तान,दिल्ली,15.2.12)।

6 टिप्‍पणियां:

  1. Nice post.
    http://anvarat.blogspot.in/2011/06/blog-post_19.html

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  2. त्वचा की देखभाल भी परमावश्यक है.

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  3. पिगमेंटेशन की दवा, धैर्य समय व्यवहार ।

    कर्म दाग पर ना मिटें, सभी वैद्य लाचार ।।

    दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक

    dineshkidillagi.blogspot.com

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  4. safed daag kaa vastvik kaaran haen liver ki kharabi mae jo dawaa dee jaatee haen wo melanin ko bannae sae roktee haen

    jin logo ko yae safed daag ki samsya haen unko koi bhi ilaaj karnae sae pehlae dr sae saaf taur sae puchh lena chahiyae ki us dawaa kaa asar liver par kyaa hogaa

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  5. यह बहुत अच्छी जानकारी दी है आभार !

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  6. बहुत काम की पोस्ट...
    सादर आभार.

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