शनिवार, 25 दिसंबर 2010

इन्सुलिन की क़ीमत बढ़ेगी

देश में दवाओं की कीमत पर निगरानी रखने वाली नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने बायोकॉन और वोकहार्ट जैसी घरेलू दवा कंपनियों को डायबिटीज के मरीजों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इंसुलिन के दाम बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। दर्द निवारक दवा एस्प्रिन की कीमत में भी मामूली बढ़ोतरी करने पर एनपीपीए ने सहमति दी है।

इंसुलिन बनाने वाली स्थानीय फार्मा कंपनियों का इस फैसले से फायदा होगा, हालांकि इससे दवा की कीमत बहुत अधिक नहीं बढ़ेगी। एलि लिली, नोवो नॉर्डिस्क और सनोफी एवेंटिस जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आयातित ब्रांडों की बाजार में दो-तिहाई हिस्सेदारी है। इन ब्रांड के दाम कीमत बढ़ने के बाद भी घरेलू दवा कंपनियों के उत्पाद से ऊंचे बने रहेंगे।

एनपीपीए का कहना है कि कीमत में संशोधन से स्थानीय फार्मा कंपनियों को आयात के संबंध में एकसमान कारोबारी स्थितियां मिलेंगी। दवा कंपनियां पांच जनवरी से दाम बढ़ा सकती हैं।

एनपीपीए ने इंसुलिन बनाने के काम आने वाली बल्क ड्रग की कीमत 33 लाख प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 39 लाख रुपए करने पर रजामंदी दी है। इससे पहले अगस्त, 2008 में बल्क ड्रग की कीमत बढ़ाई गई थी।

इंसुलिन के अलावा एनपीपीए ने एंटी इंफेक्शन दवा सेफोटेक्साइम सोडियम और एस्प्रिन की बल्क ड्रग कीमत बढ़ाने पर सहमति दी है। नियामक का अनुमान है कि इससे इन दोनों दवाओं के दाम में अधिकतम दो फीसदी की वृद्धि होगी।

एनपीपीए ने देश में बिकने वाली सभी दवाओं की कनवर्जन कीमत, प्रोसेस लॉस और पैकेजिंग चार्ज भी संशोधित किए हैं। इससे दवा निर्माता अपने तैयार उत्पाद के दाम में मामूली बढ़ोतरी कर सकेंगे।

एनपीपीए ने आईब्रुफेन और रैनिटिडाइन बल्क ड्रग का इस्तेमाल करने वाली 22 दवाओं की अधिकतम कीमत घटा दी है। चार ब्रांडों के मामले में यह कमी 89 फीसदी तक है(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,24.12.2010)।

नोटःश्री शिवम मिश्रा जी ने ब्लॉग4वार्ता में 26.12.2010 को इस पोस्ट की चर्चा की है जिसे यहां देखा जा सकता है।

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