वर्ष 1953 में तंजानिया में पहली बार प्रकाश में आया ‘चिकनगुनिया’ फीवर एक तरह का वायरल है, जो एडिस मच्छरों के काटने से होता है। तंजानिया के बाद धीरे-धीरे इस वायरल ने पश्चिम, मध्य और दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्रों से होते हुए एशिया में भी अब अपने पांव पसार लिए हैं। आज भारत के हर क्षेत्र में चिकनगुनिया के मरीज देखने को मिल रहे हैं। नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर (डॉ़) कामेश्वर प्रसाद कहते हैं कि अफ्रीकी शब्द ‘चिकनगुनिया’ का शाब्दिक अर्थ है, ‘जो मोड़ देता है’। चिकनगुनिया के मरीजों को बुखार के साथ-साथ जोड़ों में दर्द की शिकायत भी होती है। अक्सर वयस्कों में होने वाले इस वायरल में कई बार दर्द इतना ज्यादा होता है कि मरीज को लगता है मानो उसकी पूरी बॉडी को दर्द ने मरोड़कर रख दिया हो। यही वजह है कि इस बीमारी को ‘चिकनगुनिया’ नाम दिया गया। डॉ. प्रसाद के अनुसार जब भी कोई मरीज बुखार की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचता है तो सबसे पहले उसे सारे चेकअप्स करवाने के लिए कहा जाता है। हालांकि, इसके लक्षणों को देखकर भी इसके होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। लक्षण
- मच्छर के काटने से दो-तीन दिनों के अंदर तेज सर्दी के साथ बुखार का आना।
- कई मरीजों में सिरदर्द, पेट दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द व सूजन का शुरू हो जाना।
- चिकनगुनिया के मरीजों को कलाई, एड़ी, पैर, घुटने, अंगुलियों के सभी छोटे-बड़े ज्वाइंट्स यानी जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है। एक जोड़ के दर्द से आराम मिला तो दर्द दूसरे जोड़ में पहुंच जाता है।
- मरीजों में कमजोरी, आंखें लाल होना, बॉडी सख्त होना, पेट खराब होना, कै आना और भूख न लगना जैसी शिकायतें भी देखने को मिलती हैं।
- इस वायरल के दौरान स्किन पर चकत्ते पड़ जाते हैं। बीमारी शुरू होने से पहले या उसके कुछ दिन बाद भी ऐसा हो सकता है। यदि रैशेज बाद में निकलें तो माना जाता है कि यह बीमारी के ठीक होने को इंगित कर रहा है।
- इसमें शरीर में दाने भी निकलने लगते हैं। ये दाने हाथ-पैरों सहित बॉडी के कुछ खास हिस्सों में अधिक देखने को मिलते हैं।
- कुछ मरीजों के खून में डब्ल्यूबीसी यानी श्वेत रक्त कणों की कमी देखने को मिलती है।
- यद्यपि कुछ ही दिनों में बुखार उतर जाता है, लेकिन पूरी तरह से ठीक होने में हफ्ते भर का समय लग जाता है। कभी-कभी यह समय बढ़कर 12 दिनों या महीने भर का भी हो सकता है।
- चिकनगुनिया के कुछ ऐसे भी मामले देखने को मिले हैं, जिसमें ये सारे लक्षण तो होते हैं, लेकिन बुखार नहीं होता। इसे ‘साइलेंट चिकनगुनिया’ वायरल कहा जाता है।
- यूं तो इसके अधिकतर मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ अधिक उम्र के मरीजों में जोड़ों का दर्द, सूजन आदि लंबे समय तक बना रहता है।
- कुछ मरीजों के लिवर पर भी यह असर डालता है। हालांकि, डेंगू की तरह इस बीमारी के दौरान प्लेटलेट्स बहुत कम नहीं होते। रोकथाम के उपाय-
डॉ. प्रसाद कहते हैं, चूंकि अब तक चिकनगुनिया के इलाज के लिए विशेष दवाएं तैयार नहीं की जा सकी हैं, इसलिए जरूरी है कि इसके रोकथाम के उपाय किए जाएं -
- इसके लिए एडिस मच्छर को पनपने से रोकने के सभी जरूरी उपाय करने चाहिए।
- घरों या अपने आसपास के इलाकों में पानी का जमाव न होने दें।
- घरों में कूलर, गमले, टायर, बर्तनों, जानवरों के लिए प्रयोग किए जाने वाले बर्तनों वगैरह का पानी दो-तीन दिनों के अंतराल में बदलते रहें।
- सोने से पहले मच्छरदानी, ऑल आउट रिफिल या ऑल आउट अगरबत्ती का प्रयोग करना न भूलें।
- पूरी बाजू के शर्ट और फुल पैंट पहनें ताकि शरीर के कम से कम हिस्से खुले रहें।
- बॉडी के खुले पार्ट्स में मच्छर मार क्रीम का इस्तेमाल करें।
- घर और आसपास के इलाके में मच्छर भगाने वाले स्प्रे, फॉगिंग, इन्सेक्टिसाइस वगैरह दवाओं का छिड़काव कराएं।
- ध्यान दें कि बच्चों को जहां खेलने भेज रहे हैं, वहां या उसके आसपास के इलाकों में पानी का जमाव तो नहीं है!
- बच्चों को स्विमिंग के लिए भेजने से पहले यह जांच करना न भूलें कि पूल का पानी कितने दिनों में बदला जा रहा है!
उपचार-
इसके लिए वैक्सिन निकालने की काफी कोशिश हो रही है, लेकिन अब तक वैज्ञानिकों को इसमें पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पाई है। यही वजह है कि इसके मरीजों को आराम पहुंचाने के लिए उनकी समस्याओं को एक-एक करके सुलझाने का प्रयास किया जाता है। जैसे
- बुखार उतारने के लिए पैरासिटामोल की गोलियां दी जाती हैं।
- कभी-कभार जरूरी हो जाने पर बुखार उतारने या कम करने के लिए मरीज को ठंडी पट्टियां या इंजेक्शंस भी देने पड़ते हैं।
- जोड़ों में दर्द हो तो ब्रुफेन या अन्य दवाएं दी जाती हैं।
- ज्वाइंट्स में सूजन या मांसपेशियों में इसका असर हो गया हो तो इलाज के माध्यम से उसे दूर या कम किया जाता है। (सुषमा कुमारी,हिंदुस्तान,दिल्ली,10.10.2010)
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
सोमवार, 11 अक्टूबर 2010
अफ्रीकी चिकनगुनिया
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आप स्वास्थ्य संबंधी मामलों पर निरंतर बहुत उपयोगी जानकारी दे रहे हैं -जितनी प्रशंसा की जाय कम है !
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