बुधवार, 8 सितंबर 2010

फिट रखती है फिजियोथैरेपी

अगर आप भी सोचते हैं कि आप अपने शरीर के ढांचे को बरकरार रखने और अंदरूनी चोट को ठीक रखने के लिए ही फिजियोथेरेपी का उपयोग कर सकते हैं, तो आपकी सोच गलत है। विशेषज्ञों के मुताबिक फिजियोथेरेपी न केवल दिल और फेफड़ों की सेहत सुधार सकती है, बल्कि दिमाग को भी तंदुरुस्त रखने में मददगार हो सकती है। फिजियोथेरेपिस्ट अलका देशपांडे के मुताबिक फिजियोथेरेपी के साथ दवाइयों की जरूरत अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए इस पद्धति से उपचार लेने पर शरीर पर दुष्प्रभाव नहीं होते। लोगों के बीच आम धारणा है कि फिजियोथेरेपी खिलाडि़यों के लिए ही सबसे अच्छी होती है, जबकि वास्तविकता यह है कि इससे आप हृदय और मस्तिष्क के रोगों में भी बेहतर महसूस कर सकते हैं। उन्होंने बताया विदेशों में हर प्रकार की फिजियोथेरेपी के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ होते हैं। कार्डियोवस्कुलर परेशानियों, दिल का दौरा और बायपास सर्जरी के बाद भी फिजियोथेरेपी से अच्छा जीवन व्यतीत किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप किसी प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट की मदद लें। व‌र्ल्ड कनफेडरेशन फॉर फिजिकल थेरेपी की स्थापना आठ सितंबर, 1951 को हुई थी। तब से इस दिन को इंटरनेशनल फिजियोथेरेपी डे के तौर पर मनाया जाता है। संगठन के मुताबिक दुनिया भर के 101 देशों में फिजियोथेरेपी को मान्यता मिली हुई है। इन सभी देशों में इस पद्धति के विकास की प्रतिबद्धता के साथ इस दिन यह दिवस मनाया जाता है। संगठन इस दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है, जिनमें फिजियोथेरेपिस्टों द्वारा समाज के लिए किए गए कार्यों को याद किया जाता है। दूसरी ओर फिजियोथेरेपी गठिया से भी निजात दिलाने में मदद करती है। फिजियोथेरेपिस्ट डॉ सुयश केजरीवाल बताते हैं, जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी बीमारियों से निजात पाने में फिजियोथेरेपी हमेशा से वरदान साबित हुई है। इस परेशानी में दवाइयों पर निर्भरता कम करके मरीज को ज्यादा से ज्यादा व्यायाम और फिजियोथेरेपी का ही सहारा लेना चाहिए।(दैनिक जागरण,रांची,8.9.2010)

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