सोमवार, 21 जून 2010

साथिया खूब पीना कि लू ना लगे....

लू के लक्षण पसीना ज्यादा निकलता है। ज्वर का ताप अधिक रहता है। मूत्र और रक्त में लवण की कमी और रक्त में यूरिया की मात्रा बढ जाती है। रक्तचाप में कमी आने से चक्कर और मूर्छा आती है। आंखों के आगे अंधेरा छाने लगता है। यूरिन की मात्रा कम हो जाती है। पेशियों का कड़ा होना, सिर में पीड़ा, पतले दस्त आना, शक्तिहीनता, उदर और हाथ-पैरों में ऎंठन होती है। प्रथम उपचार रोगी को तत्काल ठंडी छाया वाले हवादार स्थान पर ले जाकर लिटा दें। कपडों को उतारकर सिर, छाती, मेरूदंड, बांह और हाथ-पैरों पर बर्फ लगाएं। बर्फ न होने पर गीला कपडा कर शरीर पर रख दें और शरीर पर ठंडे जल की धारा डालते रहें। ताप 102 डिग्री सेल्सियस के नीचे न उतरने तक सिर, गर्दन और गले पर बर्फ या शीतल जल की पट्टी लगाते रहें। हो सके तो सुगंधित पदार्थ रोगी के पास रख दें जैसे चंदन, गुलाब, केवडा, इत्र या फूल आदि। इससे रोगी को शांति मिलेगी और होश आने पर दूध, सोडा, खस का शर्बत, चंदन का शर्बत, गुलाब का शर्बत, हल्का नमकीन गेहूं का दलिया या फलों का रस जैसे- संतरा, अनार, मौसमी, अंगूर आदि दें। क्या करें शीतल जल, शीतल जलपान, नारियल के जल का पान, चंदन लेप, बर्फ का इस्तेमाल, लवणमय पदार्थ लें। क्या नहीं करें धूम्रपान, धूप सेवन, तले पदार्थ, दूषित जल, गर्म जल से स्नान, व्यायाम, भूखे रहना, ज्यादा उपवास रखना। लू में चिकित्सा
प्याज का रस पिलाएं। कामदुधा रस चंदन या कोई शीतल शर्बत के साथ दो-दो घंटे में दें। श्वास कुठार रस, नागरबेल के पान से दें। चंदन और कपूर घिसकर बदन पर लगाएं, इससे ठंडक रहेगी। नीम की लकडी और लाल चंदन पानी में घिसकर और कलमी-शोरा मिलाकर बदन पर लगाएं। दो नीबू का रस और 40 ग्राम मिश्री को 250 ग्राम पानी में शिकंजी बनाकर पिलाएं। छह नग लौंग और 20 ग्राम मिश्री को पीसकर उसमें आधा कप पानी मिलाकर पिलाएं। एक नग आंवले के मुरब्बे को धोकर और 10 नग इलायची को पीसकर पानी में मिलाकर पिलाएं। भोजन के बाद नमक मिला हुआ मट्ठा या छाछ पीना अच्छा रहता है। इससे नमक की कमी नहीं हो पाती। पांच बूंद अमृतधारा गुलाबजल में डालकर पिलाएं। सौंफ अर्क पानी के साथ पिलाना चाहिए। बचाव ऐसे करें घर से बाहर निकलते समय हमेशा पानी पीकर निकलना चाहिए। सिर पर धूप से बचाव करने के लिए रूमाल, टोपी का इस्तेमाल करें। मोजे नहीं पहने और पहनने ही पडें, तो उन्हें रोज धोएं। दिन में दो बार स्नान जरूर करें। कपडे सूती और हल्के पहनें, ताकि शरीर को ठंडी हवा लगती रहे। भूखे नहीं रहें। सुबह जब काम पर निकलें, तो कुछ खाकर जाएं। दिन में बार-बार पानी पिएं। जल्दी सोएं और जल्दी उठें। खस, चंदन, गुलाब और ठंडे पदार्थ इस्तेमाल करें। दोपहर को बाहर जाना पडे तो खूब पानी पीकर जाएं। अधिक चलना हो, तो ठंडी छाया में चलें। ठंडी चीजों में दूध की लस्सी, दही की लस्सी, छाछ, शर्बत आदि ले। (वैद्य बंकट लाल पारीक,राजस्थान पत्रिका,9जून,2010)

1 टिप्पणी:

  1. बेनामीजून 24, 2010

    सही सलाह, आभार।
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    क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
    अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।

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