गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

बीजीएस,बंगलोर में हुआ देश का पहला कैडेवर लिवर ट्रांसप्लांट

बीजीएस ग्लोबल हास्पिटल ने देश में पहली बार मैसिव मेटस्टेटिक लिवर डिजीज के लिए कैडेवर लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। मेटस्टेटिक लिवर कैंसर एक ऐसे प्रकार का कैंसर है जो होता तो होता तो लिवर में है लेकिन जिसकी शुरूआत शरीर के किसी अन्य हिस्से से होती है।
प्रोफेसर मोहम्मद रेला के नेतृत्व में 15 सर्जनों की एक टीम ने 10 घंटे तक चली इस सर्जरी में,रोगी सीवी रामचंद्रन के 6.5 किग्रा. वजनी रोगग्रस्त लिवर को हटा कर एक ब्रेन-डेड व्यक्ति का कैडेवर लिवर प्रत्यारोपित किया। यह सर्जरी बेहद चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि रोगग्रस्त लिवर का आकार काफी बढा हुआ तो था ही,यह ribcage और posterior abdominal wall के बीच इस कदर फंसा हुआ था कि काम करने की जगह बची ही नहीं थी ।
यह देश में तो इस तरह की ट्रांसप्लांट सर्जरी है ही,दुनिया भर में ऐसी सर्जरी के उदाहरण गिने-चुने ही हैं। एप्पल कम्प्यूटर्स के सीईओ स्टीव जाब्स की एक वर्ष पूर्व ऐसी ही सर्जरी की गई थी।
बीजीएस ग्लोबल हॉस्पीटल देश का एकमात्र अस्पताल है जहां लिवर से संबंधित सभी प्रकार के इलाज़ उपलब्ध हैं। देश में सबसे ज्यादा कैडेवर लिवर ट्रांसप्लांट करने का श्रेय बीजीएस को ही है। इनमें से 90 प्रतिशत प्रत्यारोपण सफल रहे हैं।
इस सर्जरी को अंजाम देने वाले प्रोफेसर रेला ग्लोबल ग्रुप के लिवर ट्रांसप्लांट कार्यक्रम के प्रमुख हैं। उन्होंने 20 वर्ष के अपने करियर में 1300 से ज्यादा लिवर ट्रांसप्लांट किए हैं। पाँच दिन के एक बच्चे का सफल लिवर प्रत्यारोपण करने के कारण उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है। देश में स्प्लिट लिवर का,Auxilary लिवर का और बच्चों के सबसे ज्यादा लिवर ट्रांसप्लांट करने का रिकार्ड भी उन्हीं के नाम है। (ऊपर चित्र में डाक्टर रेला)

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