गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

पंजाबी पुरुषों में शुक्राणुओं की भारी कमी!

पंजाब के पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या काफी कम हो गयी है। यह युवा पुरुषों में ‘प्रजनन क्षमता’ में लगातार हो रही कमी के बढ़ते मामले से स्पष्ट हुआ है। यह जानकारी दयानंद मेडिकल कालेज और अस्पताल (डी.एम. सी.एच.) लुधियाना के पैथालॉजी विभाग के अध्यक्ष और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बी.एस. शाह ने दी।

इस विषय पर डॉ. बी.एस. शाह ने कहा कि पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की औसंतन संख्या लगभग तीन दशक पहले 60 मिलियन से ज्यादा थी, जो अब कम होकर मात्र 15 मिलियन हो गयी है। इस मामले में देश में सबसे प्रभावित प्रांत पंजाब ही है। यह तथ्य विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा तैयार आंकड़ों से भी स्पष्ट होते हैं। डॉ. शाह डब्ल्यू.एच.ओ. गाइड लाइंस की वीर्य परीक्षण के लिए तैयार कोर कमेटी के सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सबसे बड़े कारण नशीले पदार्थों का सेवन, ड्रग्स कीट नाशकों का अत्यधिक प्रयोग, ध्रूमपान और मोबाइल फोन का ज्यादा प्रयोग करना भी है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त सभी चीजों के धड़ल्ले से प्रयोग के कारण प्रदेश में प्रजनन क्षमता में कमी के मामले तेजी से बढ़े हैं।

डॉ. शाह का मानना है कि शराब पीने से प्रजनन क्षमता का ह्रास होता है, क्योंकि इससे न केवल वीर्य में शुक्राणुओं की कमी होती है बल्कि इसकी क्वालिटी भी प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि इससे बचने के लिए युवाओं को नशों से बचना चाहिए और कीटनाशकों का प्रयोग भी सीमित ढंग से करना चाहिए(अंशु सेठ,दैनिक ट्रिब्यून,लुधियाना,17.2.11)।

दैनिक भास्कर,लुधियाना संस्करण की खबर है कि एन्वायरमेंटल टॉक्सिंस पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी असर डाल रहे हैं। पहले किसी सामान्य पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) 60 हजार मिलियन होती थी, लेकिन अब डब्लयूएचओ गाइडलाइंस में 15 मिलियन स्पर्म काउंट को भी सामान्य माना जाने लगा है।

पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम होने व अन्य सेक्सुअल डिसआर्डर की वजहों को ढूंढने के लिए देश-विदेश के विशेषज्ञ तीन दिन तक लुधियाना में चर्चा कर रहे हैं। एंड्रोलोजी सोसायटी आफ इंडिया की ओर से पहली बार नार्थ इंडिया में कराई जा रही एंट्रोलोजी व रिप्रोडक्टिव मेडिसन पर नेशनल कांफ्रेंस एंड्रोकोन 2011 कराई जा रही है। बुधवार को मैनेजिंग सोसायटी के सचिव प्रेम गुप्ता, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा.बीएस शाह, डा.संदीप शर्मा व डा.परमिंदर सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी दी।

कांफ्रेंस में डाक्टरों ने बताया कि आमतौर पर पुरुष सेक्स से संबंधित समस्याओं को छुपाते हैं और उन पर चर्चा नहीं करना चाहते। जबकि यूएसए में 80 साल का बुजुर्ग भी सर्जरी से पहले डाक्टर से पूछता है कि इससे उसकी सेक्स लाइफ पर किसी तरह का असर तो नहीं होगा।

भारत में पुरुष सेक्स समस्याओं का इलाज नीम हकीम कर रहे हैं। वे नीम हकीमों के झूठे दावों में फंस कर उल्टा अपना नुकसान करा बैठते हैं। नीम हकीमों की ओर से बनाई गई भ्रांतियों को दूर करना भी कांफ्रेंस का मकसद है। इसका उद्घाटन इटली में वल्र्ड एंड्रोलोजिकल सोसायटी के प्रेजीडेंट डा.जी.ट्रीटी करेंगे।

इसके अलावा दुनिया में पहली बफेलो क्लोनिंग करने वाले साइंटिस्ट भी इस कांफ्रेंस में भाग लेंगे। इसमें प्लसेंटा के अलावा मासिक धर्म से स्टेम सेल लेने, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, शुक्राणु निल होने पर मरीज के इलाज, प्रोस्टेट कैंसर, इरेक्टल डिसफंक्शन, स्पर्म काउंट करने के उचित तरीके व टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक पर भी चर्चा की जाएगी।

इधर,शुक्राणुओं की कमी का मुद्दा चिंता का विषय है,उधर डॉक्टर एक ही इंजेक्शन से परिवार नियोजन की कवायद में जुटे हैं। आज के ही दैनिक भास्कर से विपन जंड की रिपोर्ट देखिएः
 

अब पुरुषों को परिवार सीमित करने के लिए ज्यादा झंझट में नहीं पड़ना होगा। अब बस एक इंजेक्शन से वे जब तक चाहे परिवार को सीमित रख सकते हैं। पुरुषों के लिए ऐसा कांटरासेप्टिव इंजेक्शन तैयार हो गया है। इससे वे दस साल तक परिवार नियोजन कर सकते हैं।

इंडियन कौंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की मंजूरी से लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में इस इंजेक्शन का आठ पुरुषों पर ट्रायल हो गया है। टेस्टिंग में इन आठों पुरुषों के स्पर्म काउंट निल आए हैं। दो दिन बाद लुधियाना में एंड्रोलोजी सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित हो रही एंड्रोलोजी एंड रिप्रोडक्टिव मेडिसन कांफ्रेंस में इस इंजेक्शन का लाइव डेमो दिया जाएगा।

कोलकाता के डा.एसके गुहा तीन मरीजों को यह इंजेक्शन लगाएंगे। डीएमसी अस्पताल के डा.संदीप शर्मा के मुताबिक इंडियन कौंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के तहत इंजेक्शन के अभी तक तीन ट्रायल हो चुके हैं। बंदरों पर परीक्षण के बाद मौलाना आजाद मेडिकल कालेज, आल इंडिया इंस्टीटच्यूट आफ मेडिकल साइंस में इंसानों पर भी इसका ट्रायल हो चुका है। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा.बीएस शाह के मुताबिक इंजेक्शन यूएसए, सिंगापुर समेत तीन देशों में पेटेंट हो चुका है।

खत्म भी हो सकता है असर
यह इंजेक्शन प्री लोडेड सीरिंज में आता है। दोनों टेसटिज में एक छोटा-सा छेद करके वीर्य की नली को निकालकर इंजेक्शन उसमें लगाकर नाली को बंद कर दिया जाता है। इंजेक्शन लगाने के तीन महीने बाद पहला वीर्य परीक्षण होता है, जिससे रिजल्ट पता लगता है। दस साल के दौरान परिवार आगे बढ़ाना हो, तो छोटा-सा चीरा लगाकर बंद हिस्से को काटकर दोबारा जोड़ दिया जाता है।

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