बुधवार, 28 जुलाई 2010

काढ़ा खत्म करेगा हेपेटाइटिस का खतरा

हेपेटाइटिस-बी एक ऐसा संक्रमण है जिसे चिकित्सक एचआईवी से कम खतरनाक नहीं मानते। एलोपैथ में हेपेटाइटिस-बी को मारने वाली कारगर दवा अब तक नहीं है। इस बीमारी की काट अब एक काढ़े में ढूढ़ लिया गया है। फलत्रिकाऽमृता वासा तिक्ता भूनिम्ब-निम्बज: नाम का काढ़ा हेपेटाइटिस के समूचे साम्राज्य की काट साबित हुआ है। यानी सिर्फ हेपेटाइटिस-बी ही नहीं बल्कि ए, सी, डी, ई सभी संक्रमणों में कारगर साबित हुआ है। लिवर के समस्त रोगों में असरकारी काढ़े के इस नए प्रभाव का दावा करते हैं चिकित्सा विज्ञान संस्थान (बीएचयू) स्थित आयुर्वेद संकाय में द्रव्यगुण विभाग के डॉ.अनिल कुमार सिंह। पिछले छह महीनों में उन्होंने दर्जनों मरीजों पर इस काढ़े का प्रयोग किया है जिसके उपरांत मरीजों में आश्चर्यजनक रूप से हेपेटाइटिस का वायरस गायब हो गया है। काढ़े के लिए औषध डॉ.अनिल कुमार सिंह के मुताबिक काढ़े में जिन औषध को शामिल किया गया है, उनमें आमलकी (आंवला), विभीतिकी (बहेड़ा), हरीतिकी (हरड़), अमृता (गुरुच), वासा (अणुषा), तिक्ता (चिरैता), भूनिम्ब (कालमेघ) व निम्ब (नीम) शामिल हैं। बनाएं कैसे सभी औषध एक समान मात्रा में लेकर उसको चार गुना अधिक मात्रा पानी में उबालते हैं। मसलन संपूर्ण औषध की मात्रा अगर 50 ग्राम है तो उसे 200 मिली पानी में उबाल लेते हैं, जब एक भाग यानी 50 मिली रह जाए तो इसे छानकर सुबह खाली पेट पीते हैं। असर एक माह में डा. सिंह के मुताबिक एक माह तक लगातार इस काढ़े के सेवन से नतीजा सामने आ जाता है। उनहोंने कहा कि काढ़े का असर तो पता चल गया है। लेकिन हेपेटाइटिस के वायरस पर यह कैसे कार्य करता है, जानने के लिए वह शोध की तैयारी कर रहे हैं(धनंजय वर्मा,दैनिक जागरण,वाराणसी,28.7.2010)।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उपयोगी जानकारी है धन्यवाद।

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  2. क्या रोजाना बनाना है या फिर एक बार बनाकर रखा जा सकता है

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  3. क्या रोजाना बनाना है या फिर एक बार बनाकर रखा जा सकता है

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  4. क्या रोजाना बनाना है या फिर एक बार बनाकर रखा जा सकता है

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  5. इसका प्रयोग कितनी मात्रा मे करना है और किस तरह बनाना है

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  6. इसका प्रयोग कितनी मात्रा मे करना है और किस तरह बनाना है

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