बुधवार, 7 जुलाई 2010

जम्मू-कश्मीरःआयुर्वेद के नाम पर मौत की खुराक

जम्मू कश्मीर में झोलाछाप डॉक्टर आयुर्वेद के नाम पर मरीजों को न सिर्फ ठग रहे हैं,बल्कि एलोपैथी की स्टेरॉयड युक्त दवाइयां थमा कर मौत के मुहाने पर पहुंचा रहे हैं। जो दवाइयां यह कह कर देते हैं कि इनका साइड इफेक्ट नहीं, उसे खाकर रोगी की हालत पतली हो जाती है। कई तथाकथित डॉक्टरों ने पैथॉलाजी लैब तक खोल रखीं हैं,जहां टेस्ट के बाद मरीजों को गुमराह किया जाता है। योग्य डॉक्टरों की कमी और सरकार द्वारा झोलाछापों के खिलाफ कार्रवाई न होने से लोग मजबूरी में उन्हीं से उपचार कराते हैं। जम्मू संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कालेज में आए दिन ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जो इन झोलाछाप डाक्टरों द्वारा दी गई गलत दवाइयों का शिकार होते हैं। अस्पताल में भर्ती रिहाड़ी निवासी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि डॉक्टर द्वारा दी गई दवाई खाने से उसके शरीर में यूरिया बढ़ गया,किडनी प्रभावित हो गई। एक अन्य रोगी ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टर आयुर्वेद के नाम पर बिना रैपर वाली दवाएं यह कह कर देते हैं कि इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है,लेकिन सेवन करने के बाद हालत पतली हो जाती है। आयुर्वेद विशेषज्ञ डा.महेश शर्मा का कहना है कि झोलाछापों ने आयुर्वेद को बदनाम कर रखा है। ये दवाइयों में स्टेराइड का इस्तेमाल करते हैं। लोगों को चाहिए कि वह प्रशिक्षित चिकित्सक से ही इलाज करवाएं। वहीं, मेडिकल कालेज के सुपरिंटेंडेंट डॉ. रमेश गुप्ता ने कहा, मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाना चाहिए। मेडिकल कालेज में हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। हर बीमारी के इलाज के लिए यहां विशेषज्ञ डाक्टर हैं और सिटी स्कैन से लेकर एमआरआई तक की व्यवस्था है। लामबंद होने लगे प्रशिक्षित डॉक्टर : झोलाछापों के खिलाफ प्रशिक्षित डॉक्टरों के संगठन लामबंद होने लगे हैं। डॉक्टर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी, डॉक्टरर्स एसोसिएशन, इनडीजेनस मेडिसिन आर्गेनाइजेशन समेत कई एसोसिएशनों ने फर्जी चिकित्सकों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाने का फैसला किया है। निजी पैथॉलाजी लैब चला रहे झोलाछाप : झोलाछाप डॉक्टर केवल रोगियों को दवाइयां ही नहीं दे रहे हैं बल्कि उन्होंने राच्य के कई भागों में पैथॉलॉजी लैब तक खोल रखी हैं। इनमें टेस्ट करने के बाद मरीजों को गुमराह किया जाता है। हैरानी की बात यह है कि इन लेबोरेटरियां चलाने वालों के पास कोई पैथालोजिस्ट नहीं है,जबकि नियमों के अनुसार लेबोरेटरी चलाने के लिए इसका होना जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग ने कुछ समय पूर्व कोर्ट के निर्देशों के बाद इन लैबों के खिलाफ कदम उठाए, लेकिन सरकारी इच्छा शक्ति के अभाव में अभियान दम तोड़ गया(रोहित जंडियाल,दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,7.7.2010)।

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